एक बहु ही सरल तरीके में बात करें तो मेटावर्स का मतलब एक ऐसी दुनिया से है जिसमें लोग असलियत में नहीं है, बल्कि आभासी रूप से मौजूद रहते हैं। यह इंटरनेट का एक ऐसा भविष्य है जिसे आने वाले समय में बखूबी लोग अपनाएंगे। आज हम आपको अपनी इस रिपोर्ट में बहुत ही आसान भाषा में बताएंगे कि आखिर मेटावर्स है क्या ?
नई दिल्ली: पिछले कुछ महीने से मेटावर्स काफी चर्चा में है। पिछले साल अक्तूबर में मेटा (फेसबुक) के CEO मार्क जुकरबर्ग ने कंपनी का नाम मेटा (Meta) रखा और कहा कि हम चाहते हैं कि दुनिया हमें मेटावर्स के नाम से जाने, हालांकि मेटावर्स कोई नया शब्द नहीं है। मेटावर्स भले ही आज अचानक से चर्चा में आया है लेकिन यह काफी पुराना शब्द है। 1992 में नील स्टीफेंसन ने अपने डायस्टोपियन उपन्यास “स्नो क्रैश” में इसका जिक्र किया था।
स्टीफेंसन के उपन्यास में मेटावर्स का मतलब एक ऐसी दुनिया से था जिसमें लोग वीडियो गेम में डिजिटल दुनिया वाले गैजेट जैसे हेडफोन और वर्चुअल रियलिटी (VR) की मदद से आपस में कनेक्ट होते हैं। आज हम आपको बहुत ही आसान भाषा में बताएंगे कि आखिर मेटावर्स क्या है और क्यों दुनिया की बड़ी टेक कंपनियां इसमें निवेश कर रही हैं?
मेटावर्स- इंटरनेट पर निर्भर एक प्रतिबिंबित दुनिया है
एक दुनिया यूनिवर्स (ब्रह्मांड) है और अब नई दुनिया के रूप में मेटावर्स का जन्म हुआ है। ऐसा माना जाता है कि बिग बैंग की प्रक्रिया में भारी पदार्थों से निर्मित एक गोलाकार सूक्ष्म पिंड के अंदर महाविस्फोट हुआ जिससे ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मांड में आप हर एक चीज को छू सकते हैं, उसे महसूस कर सकते हैं। ब्रह्मांड में लोग शारीरिक रूप से उपस्थित हैं, लेकिन मेटावर्स इससे बिलकुल अलग है। मेटावर्स में किसी गांव में बैठा छात्र दिल्ली के किसी स्कूल या कॉलेज में ठीक उसी तरह क्लास ले सकता है जिस तरह क्लासरूम में बैठकर लेता है। मेटावर्स में उनलोगों से भी बात करना संभव है जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। इसमें पहले उस शख्स की तस्वीर से उसका होलोग्राम तैयार होगा और फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से आप बात कर सकेंगे। मेटावर्स एक वर्चुअल दुनिया है जो कि पूरी तरह से हाई-स्पीड इंटरनेट पर निर्भर है। मार्क जुकरबर्ग ने मेटावर्स को एक वर्चुअल एनवायरमेंट (आभासी वातावरण) कहा है। वास्तविक दुनिया में आपको किसी जगह का भ्रमण करने के लिए उस जगह पर जाना पड़ता है जिसमें आपको कई तरह की परेशानी होती है, लेकिन मेटावर्स में आप घर बैठे-बैठे अमेरिका या दुनिया के किसी भी कोने में जा सकते हैं। आप घर बैठे अंतरिक्ष में का भी अनुभव कर सकते हैं। मेटावर्स में हर एक चीज आभासी होती है। इसमें कुछ भी वास्तविक नहीं होता । मेटावर्स से मतलब एक ऐसी दुनिया से है जिसमें आप ना होते हुए भी मौजूद रहते हैं।
मेटावर्स अनुभव के लिए जरूरी है कुछ तकनीकी चीजें
मेटावर्स का अनुभव आप वर्चुअल रियलिटी हेडसेट और हाई-स्पीड इंटरनेट के बिना नहीं कर सकते। इसमें आग्युमेंट रियलिटी चश्में, स्मार्टफोन और मोबाइल एप की जरूरत होती है। यदि कोई आपसे कहता है कि सिर्फ मोबाइल से आप मेटावर्स का अनुभव कर सकते हैं तो वह आपको गुमराह कर रहा है। आप मोबाइल से मेटावर्स के रिकॉर्डेड वीडियो तो देख सकते हैं, लेकिन मेटावर्स का अनुभव नहीं कर सकते। मेटावर्स में लोगों का होलोग्राम बनता है जो कि किसी का आभासी अवतार है।
मेटावर्स में किसी का अवतार बनाने के लिए उसकी 360 डिग्री स्कैनिंग होती है। मेटावर्स में खरीद-बिक्री के लिए क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल होता है। मेटावर्स पूरी तरह से हाई-स्पीड इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है।
मेटावर्स भले ही एक आभासी दुनिया है लेकिन इसमें हार्डवेयर का इस्तेमाल बड़े स्तर पर होता है। वहीँ मन यह भी जा रहा है की मेटावर्स इंटरनेट का आने वाला भविष्य है।