पर्यटन मंत्रालय ने विशेष रूप से देश में कोविड की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार और टीकाकरण लक्ष्यों की उपलब्धि के बाद उद्योगजगत के हितधारकों की भागीदारी से पर्यटन को बढ़ावा देना शुरू किया है। विदेशी और घरेलू पर्यटन दोनों भारत में पर्यटन क्षेत्र के समग्र विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बौद्ध पर्यटन एक प्रमुख पर्यटन उत्पादों में शामिल है, जिसे भारत अपने विविध पर्यटन उत्पादों के बीच पेश करता है। पर्यटन मंत्रालय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रचार गतिविधियों का संचालन करता है और इन गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य पर्यटन स्थलों, उनके आकर्षण तथा उत्पादों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
बौद्ध पर्यटन की संभावना का दोहन करने के लिए, पर्यटन मंत्रालय ने बौद्ध सर्किट ट्रेन एफएएम टूर और 04 अक्टूबर से 08 अक्टूबर, 2021 तक सम्मेलन का आयोजन किया है। एफएएम टूर में प्रमुख बौद्ध स्थलों के साथ-साथ बोधगया और वाराणसी के सम्मेलन स्थलों की यात्रा शामिल होंगी। इस कार्यक्रम में टूर ऑपरेटरों, होटल व्यवसायियों, मीडिया तथा पर्यटन मंत्रालय एवं राज्य सरकारों के अधिकारियों सहित लगभग 125 प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है। इसके अलावा, लगभग 100 स्थानीय टूर ऑपरेटर तथा पर्यटन एवं आतिथ्य क्षेत्र के अन्य हितधारक सर्किट में पर्यटन के विकास और प्रचार के संबंध में प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बोधगया और वाराणसी में होने वाले कार्यक्रम में भाग लेंगे।
भारत इतिहास, संस्कृति, दर्शन, विरासत और धर्म के संदर्भ में दुनिया के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है और ये एक साथ देश को पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए सबसे वांछित स्थलों में सूचीबद्ध करते हैं। भारत में भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण स्थलों के साथ एक समृद्ध प्राचीन बौद्ध विरासत है। एक पर्यटन उत्पाद के रूप में भारत में बौद्ध पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। भारतीय बौद्ध विरासत पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत रुचिकर है। यह भारत की महान परंपराओं और रीति-रिवाजों के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति, प्रेरणा और मार्गदर्शक बनी हुई है। पर्यटन मंत्रालय ने भारत को ‘बुद्ध की भूमि’ के रूप में प्रदर्शित करने के लिए इन कारकों का लाभ उठाया है।
बौद्ध धर्म की उत्पत्ति 2500 साल से भी पहले प्राचीन भारत में हुई थी और यह एशिया के अधिकांश हिस्सों में फैल गया। करीब 500 मिलियन अनुयायियों के साथ, बौद्ध दुनिया की कुल जनसंख्या के 7 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं। पवित्र स्थल बुद्ध के जीवन चक्र का अनुसरण करते हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं – बुद्ध का जन्मस्थान लुंबिनी (नेपाल), बोधगया – जहां उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया, सारनाथ – जहां बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश दिया, जिसे धर्मचक्रप्रवर्तन भी कहा जाता है, कुशीनगर – जिसे बुद्ध ने अपने अंतिम प्रस्थान अथवा महापरिनिर्वाण के लिए चुना था, नालंदा- जो दुनिया के पहले आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक था और शिक्षण का एक केन्द्र था, राजगीर – जहां गृध्रा कूटा (गिद्धों की पहाड़ी) में बुद्ध ने ध्यान और उपदेश देते हुए कई महीने बिताए, श्रावस्ती – जहां उन्होंने अपने कई सुत्त (उपदेश) पढ़ाए, और वैशाली – जहां बुद्ध ने अपने कुछ अंतिम उपदेश दिए थे। पर्यटन मंत्रालय ने बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य में, निम्नलिखित बौद्ध स्थलों, अर्थात् बोधगया, नालंदा, राजगीर, वैशाली, सारनाथ, श्रावस्ती, कुशीनगर, कौशाम्बी, संकिसा और कपिलवस्तु को कवर करने और विकसित करने की योजना बनाई है। फिलहाल इन स्थलों पर सारनाथ और बोधगया सहित देश भर में लगभग 6 प्रतिशत विदेशी पर्यटक आते हैं।
मंत्रालय ने चहुंमुखी विकास रणनीति अपनाई है, जो हवाई, रेल और सड़कों के माध्यम से कनेक्टिविटी में सुधार, पर्यटन के बुनियादी ढांचे और संबंधित सेवाओं को बढ़ाने, ब्रांडिंग और प्रचार को सुव्यवस्थित करने और संस्कृति तथा विरासत को प्रदर्शित करने पर केन्द्रित है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और आंध्र प्रदेश राज्यों में बौद्ध सर्किट विकास के लिए 325.53 करोड़ रुपये की 5 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है तथा स्वीकृत परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। प्रसाद योजना के तहत वाराणसी में, तीन परियोजनाओं पर 44.19 करोड़ रुपये के कार्य स्वीकृत किए गए हैं। बौद्ध संरचनाओं के विकास के लिए 9.5 करोड़ रुपये की लागत से धामेक स्तूप में एक ध्वनि तथा प्रकाश शो और एक बुद्ध थीम पार्क, सारनाथ सहित दो परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
पर्यटन मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के तहत पर्यटन से संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास के अलावा, भारत और विदेशी बाजारों में विभिन्न बौद्ध स्थलों को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया जा रहा है। उपर्युक्त के हिस्से के रूप में, विदेशी बाजारों में भारत पर्यटन कार्यालय नियमित रूप से कई यात्राओं और पर्यटन मेलों के साथ-साथ प्रदर्शनियों में भाग लेते हैं, जिनमें भारत के बौद्ध स्थलों को बढ़ावा दिया जाता है। इसके अलावा, पर्यटन मंत्रालय भारत को बौद्ध गंतव्य और दुनिया भर के प्रमुख बाजारों के रूप में बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रत्येक एक वर्ष को छोड़कर दूसरे वर्ष में बौद्ध सम्मेलन का आयोजन करता है। आगामी अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन 17 से 21 नवम्बर, 2021 तक निर्धारित है। मंत्रालय ने ब्रांडिंग और प्रचार के तहत कई परियोजनाएं शुरू की हैं, जो वर्तमान में प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं, जिसमें राष्ट्रीय संग्रहालय, वेब पोर्टल, वार्षिक कार्यक्रम कैलेंडर, सोशल मीडिया मार्केटिंग, वियतनाम, थाईलैंड, जापान, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, आदि जैसे प्रमुख स्रोत बाजारों में अभियान पर एक लाइव वर्चुअल प्रदर्शनी शामिल है।
पर्यटन मंत्रालय ने अतुल्य भारत वेबसाइट पर बौद्ध स्थलों को दर्शाया है और एक समर्पित वेबसाइट www.indiathelandofbuddha.in भी विकसित की है। इस वेबसाइट का उद्देश्य भारत में समृद्ध बौद्ध विरासत को बढ़ावा देना और प्रदर्शित करना तथा बुद्ध द्वारा व्यक्तिगत रूप से पूरे भारत में देखे गए प्रमुख स्थलों को दर्शाने के अलावा आधुनिक मठों सहित उनके शिष्यों द्वारा छोड़ी गई बौद्ध विरासत को प्रदर्शित करना है। वेबसाइट को और अधिक इंटरैक्टिव बनाने और वेबसाइट देखने वालों के लिए गहरा लगाव पैदा करने को लेकर वेबसाइट में कई उपयोगी विशेषताएं हैं। इस वेबसाइट का उद्देश्य भारत में बौद्ध विरासत को प्रदर्शित करना और प्रोजेक्ट करना तथा देश में बौद्ध स्थलों के लिए पर्यटन को बढ़ावा देना एवं बौद्ध धर्म में रुचि रखने वाले देशों और समुदायों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करना है। वेबसाइट आगंतुकों को बौद्ध विरासत के बारे में जानने का एक आसान तरीका प्रदान करती है और पर्यटकों को अपनी पसंद के आधार पर जानकारी प्राप्त करने की अनुमति देती है। वेबसाइट इंटरैक्टिव है और बौद्ध धर्म, बुद्ध के पदचिन्हों, बौद्ध विरासत, मठों और कई अन्य के बारे में बेहतर पहुंच प्रदान करती है।
मंत्रालय ने क्षमता निर्माण के लिए परियोजनाओं पर भी काम किया है, जिसमें थाई, जापानी, वियतनामी और चीनी भाषाओं में भाषाई पर्यटक सूत्रधार प्रशिक्षण शामिल है। 2018 से 2020 के बीच इन भाषाओं में 525 लोगों को प्रशिक्षित किया गया है, और 2020 तथा 2023 के बीच 600 और लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि बौद्ध धर्म एशिया के एक बड़े हिस्से में फैला हुआ है, और केवल पूर्व एवं दक्षिण पूर्व एशिया में दुनिया के 97 प्रतिशत बौद्ध केन्द्रित हैं। इसलिए पर्यटकों के साथ भाषाई जुड़ाव विकसित करना महत्वपूर्ण है।
इसका उद्देश्य क्षेत्र की प्राचीन बुनियादों को प्रदर्शित करने के लिए पर्यटन का उपयोग करना तथा अत्याधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकियों द्वारा संचालित एक न्यू इंडिया की भावना को ग्रहण करना एवं बुनियादी ढांचे के विकास पर एक मजबूती से केन्द्रित करना है।