मंकीपॉक्स के मामले अब देशभर में सामने आ रहे हैं. ऐसे में एहतियात बरतना जरूरी है. मंकीपॉक्स वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 6 से 13 दिन तक होता है. कई 5 से 21 दिन तक का भी हो सकता है. इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे.
नई दिल्ली: मंकीपॉक्स को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हेल्थ इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है. केरल के बाद अब दिल्ली और तेलंगाना में भी इसके मामले सामने आ चुके हैं. दिल्ली में जो व्यक्ति मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया है. उसका अंतर्राष्ट्रीय यात्रा का कोई इतिहास नहीं है.
इससे पहले केरल में मंकीपॉक्स के तीन मरीज मिल चुके हैं. ये तीनों ही मरीज यूएई से लौटे थे और वहीं पर ये किसी संक्रमित के संपर्क में आए थे. अब ऐसे समय में यह सवाल खड़ा हो रहा है किया देश में मंकीपॉक्स का कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो गया है?
मंकीपॉक्स कोई नई बीमारी नहीं है. यह पहली बार 1950 के दशक के अंत में बंदरों के एक समूह में पाया गया था. वायरस वैरियोला (चेचक का प्रेरक एजेंट) और वैक्सीनिया वायरस (उपलब्ध चेचक के टीकों में से एक में प्रयुक्त वायरस) के समान जीन का है. 1958 में डेनमार्क के कोपेनहेगन में बंदरों पर की जा रही एक रिसर्च के दौरान इसका आउटब्रैक हुआ था, इस घटना के बाद ही सबसे पहले मंकीपॉक्स का नाम सामने आया.
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स ?
सर गंगाराम अस्पताल के इंटेंसिविस्ट और सीनियर कंसल्टेंट डॉ. धीरेन गुप्ता के मुताबिक मंकीपॉक्स के प्रसार में जानवरों की अहम भूमिका है. माना जाता है कि मनुष्य और बंदर के संपर्क में आने पर या चूहे और खरगोश जैसे जानवरों से ये वारस फैलता है. पश्चिम अफ्रीका में पाया गया स्ट्रेन मध्य अफ्रीका के स्ट्रेन की तुलना में कम गंभीर माना जाता है. उन्होंने आगे कहा कि पूरी दुनिया में क्लेड 2 IE अफ्रीकी स्ट्रेन ही फैल रहा है.
किन्हें ज्यादा खतरा ?
जानवरों (बंदर, गिलहरी, जंगली कृन्तकों) या जानवरों के मांस (जंगली जानवर) के साथ लंबे समय तक संपर्क या संक्रमित व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क में रहने वालों को. यह हवा के माध्यम से नहीं फैलता है, लेकिन अगर कोई संक्रमित रोगी (3 घंटे, 2 मीटर के भीतर) के निकट संपर्क में है, तो बड़ी ड्रॉपलेट्स के जरिए संक्रमण हो सकता है. यह चेचक (smallpox) और छोटी माता (chickenpox) से कम संक्रामक है.
क्या है मंकीपॉक्स के लक्षण ?
मंकीपॉक्स वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 6 से 13 दिन तक होता है. कई बार 5 से 21 दिन तक का भी हो सकता है. इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे. संक्रमित होने के पांच दिन के भीतर बुखार, तेज सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखते हैं. मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है. बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है. शरीर पर दाने निकल आते हैं. हाथ-पैर, हथेलियों, पैरों के तलवों और चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं. ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूखकर गिर जाते हैं.
मंकीपॉक्स से सबसे ज्यादा जोखिम किसे ?
- मंकीपॉक्स के ज्यादातर मामले पुरुषों में देखे गए हैं.
- WHO के मुताबिक पुरुषों और LGBTQ समुदाय के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों को खतरा ज्यादा है.
- लंबे समय तक रोगी के निकट संपर्क में रहने वाले व्यक्ति को ड्रॉपलेट्स बूंदों के माध्यम से भी फैल सकता है.
- लंबे समय से स्वास्थ्य जटिलताओं (गंभीर बीमारियां) को झेल रहे लोगों को भी खतरा ज्यादा है.
डब्ल्यूएचओ के डॉ. ट्रेड्रोस के मुताबिक फिलहाल यह एक ऐसा प्रकोप है, जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों के बीच केंद्रित है. विशेष तौर पर एक एक से ज्यादा लोगों के साथ यौन संबंध बनाने वालों में. इसलिए यह जरूरी है कि सभी देश पुरुषों के समुदायों के साथ मिलकर काम करें.
एम्स में सामुदायिक चिकित्सा के प्रोफेसर डॉ. संजय राय के मुताबिक इसे सिर्फ एक यौन संचारित रोग (STD नहीं कहा जा सकता है. फिलहाल यह नहीं कहा सकते कि यह नहीं कहा सकते कि यह बीमारी सिर्फ एक एसटीडी है, या केवल यौन संपर्क के यौन संचारित रोग के माध्यम से फैलती है. यह एचआईवी की तरह नहीं है.
फैलने से कैसे रोक सकते हैं ?
तीन सप्ताह के लिए अपने आप को कमरे में अलग कर लें, जब तक कि सभी घाव खत्म न हो जाएं. आमतौर पर मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण की अवधि 5 से 13 दिनों तक होती है, लेकिन यह 4 से 21 दिनों तक हो सकती है.
इस साल की शुरुआत में 47 देशों से डब्ल्यूएचओ को मंकीपॉक्स के 3040 मामले सामने आए. तब से, इसका प्रकोप बढ़ता जा रहा है और अब 75 देशों और क्षेत्रों से 16 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं. इसमें पांच मौतें भी हुई हैं. डॉ टेड्रोस ने कहा कि जब से कांगो गणराज्य में 1970 में पहला मामला इंसान में सामने आया था, तब से विशेषज्ञों ने पिछले 50 वर्षों में इसे एक दर से फैलते नहीं देखा.
डॉ संजय राय के मुताबिक पहली बार यह बीमारी कांगो गणराज्य में 1970 के दशक में किसी इंसान में दर्ज की गई थी. कई अफ्रीकी देशों में इसका प्रकोप था, 2003 में अमेरिका में भी इसका प्रकोप देखा गया था. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जूनोटिक रोगों के संचरण में वृद्धि हुई है. चाहे वह covid19 हो या कोई अन्य बीमारी.
मंकीपॉक्स के लिए कौन सी वैक्सीन ?
डॉ. राय के मुताबिक मंकीपॉक्स का जोखिम कम करने के लिए दो टीके उपलब्ध हैं, जो मंकीपॉक्स के विकास के जोखिम को कम कर सकते हैं. संशोधित वैक्सीनिया अंकारा (MVA) वैक्सीन (संयुक्त राज्य अमेरिका में JYNNEOS, यूरोपीय संघ में IMVANEX, और कनाडा में IMVAMUNE) और ACAM2000 वैक्सीन. स्मॉल पॉक्स का टीका केवल मंकीपॉक्स से 82-85% सुरक्षा प्रदान करता है.
मंकीपॉक्स को LGBTQ समुदाय से जोड़ने पर चल रही तीखी बहस
दुनिया भर में मंकीपॉक्स को LGBTQ समुदाय से जोड़ने पर एक तीखी बहस चल रही है, जिससे इस समुदाय के लोगों में आक्रोश है. स्पेशलिस्ट्स का कहना है कि लोगों के एक विशेष समूह पर आरोप लगाना ठीक नहीं है. हालांकि डब्ल्यूएचओ को इसे सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज घोषित करने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए. इनफेक्शन डिजीज स्पेशलिस्ट डॉक्टर ईश्वर गिलाडा का कहना है कि यह 21वीं सदी का सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है. एचआईवी MSM (पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष) आबादी के बीच शुरू हुआ लेकिन जल्द ही विषमलैंगिक (heterosexually) में भी फैल गया, ऐसा ही मंकीपॉक्स के साथ हो रहा है.गिलाडा का सुझाव है कि यह भारत के NACO (राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन) के लिए एचआईवी नियंत्रण और उपचार कार्यक्रम में सफलताओं को देखते हुए कदम उठाने का समय है.
Edited By – Deshhit News