नमस्कार पाठकों बहुत स्वागत है आपका आप पढ़ रहे हैं ” द मिरिकल ऑफ़ ज्योतिष “ और मैं हूँ आपके साथ विशाल शुक्ला. आज हम आपको बताएँगे की माता का सातवा स्वरुप कौन सा है और उनका पूजा विधान क्या है. तो आइये जानते हैं आज के विषय को.
देखिये सबसे पहले एक बात जानिए की अगर आपकी कोई मनोकामना है जो आप चाहते हैं की पूरी हों जाये तो क्या करेंगे. नवरात्री में किसी भी दिन माता के मंदिर जाएँ और एक लाल रेशम का धागा बांध दें और माता से प्रार्थना करें की आपकी मनोकामना पूरी हो आपको लाभ होगा.
अब जानते हैं माता के सातवे स्वरुप के बारे में. माता का सातवा स्वरुप है माता कालरात्रि का है जो काफ़ी भयंकर है इनका रंग काला है और ये तीन नेत्र धारी हैं.इनके गले में विधुत यानि बिजली की माला है.हाथों में खड़क और कांटा है और इनका वाहन गधा है.
लेकिन ये अपने भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं स्वरुप इनका भले ही भयंकर हो लेकिन ये हमेशा अपने भक्तों का कल्याण करती हैं इसीलिए इनको शुभंकरी भी कहते हैं. इस बार माता के सातवे स्वरूप की उपासना 12 अक्टूबर को की जाएगी.
माता कालरात्रि की पूजा के फायदे क्या हैं और पूजा विधान क्या है. माता कालरात्रि की पूजा से शत्रु और विरोधी शांत होते हैं और इनकी उपासना से भय, दुर्घटना और रोगों का नाश होता है और इनकी पूजा से नकारात्मक ऊर्जा यानि तंत्र मंत्र का असर नहीं होता. ज्योतिष में इनका सम्बन्ध शनि ग्रह के साथ माना जाता है. ऐसा माना जाता है की इनकी पूजा से शनि ग्रह की बधाएं समाप्त होती हैं और शनि नियंत्रण में बने रहते हैं.
अब ये जानते हैं की माता कालरात्रि का सम्बन्ध कौन से चक्र से है माता कालरात्रि का सम्बन्ध सर्वोच्च चक्र यानि सहस्त्रार चक्र को नियंत्रित करती हैं. ये चक्र व्यक्ति को सात्विक बनता है और देवत्व तक ले जाता है. इस चक्र तक पहुंच जाने पर व्यक्ति खुद ईश्वर हो जाता है. इस चक्र पर गुरु का ध्यान किया जाता है.इस चक्र का कोई मंत्र नहीं होता. नवरात्री के सातवे दिन इस चक्र पर अपने गुरु का ध्यान अवश्य करना चाहिए. अब ये जानते हैं की माता की पूजा करेंगे कैसे. माता के सामने घी का दीपक जलाकर उन्हें लाल फूल अर्पित करें उन्हें गुड़ का भोग लगाएं. इसके बाद माता के मंत्रो का जप करें या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. जो गुड़ का भोग आपने लगाया है उसका आधा हिस्सा परिवार में बाँट दें और आधा हिस्सा किसी ब्राह्मण को दान कर दें.काले रंग के वस्त्र धारण कर के या किसी को नुकसान पहुंचने के उद्देश्य से माता की पूजा ना करें वरना इसके गंभीर परिणाम आपको भुगतने पड़ेंगे.
अब ये जानते हैं की शत्रु और विरोधियों को शांत करने के लिए माता की पूजा कैसे करें. रात में लाल वस्त्र धारण कर के माता के सामने घी का दीपक जलाकर बैठें और उन्हें गुड़ का भोग लगाएं. इसके बाद 108 बार नवार्ण मंत्र का जप करें एं ह्रीं क्लीं चामुंड़ाए विच्चे और हर एक मंत्र के बाद एक एक लौंग चढ़ाते जाएँ.108 मंत्रो का जप और 108 बार लौंग चढ़ाइये अब इन सभी लौंग को इकठा कर के अग्नि में डाल दें आपके शत्रु और विरोधि शांत होंगे. अगर आप अपने शनि को शांत करना चाहते हैं तो एक काम करिये नवरात्री में किसी भी दिन माता काली को गुड़हल का फूल अर्पित करिये उसके बाद एक मंत्र पढ़ेंगे “” ॐ क्रिँ कालिकाये नमः”” इस मंत्र का 108 बार जप करें. इसके बाद शनि शांति की प्रार्थना करें आपको लाभ होगा.