नई दिल्ली: 28 मई को नए ससंद भवन का उद्घाटन कर प्रधानमंत्री मोदी इतिहास रचने वाले हैं। वहीं, दूसरी तरफ नए संसद भवन का पीएम मोदी के हाथों उद्घाटन करने को लेकर 19 विपक्षी पार्टियों ने उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है। विपक्ष का कहना है कि पीएम मोदी की जगह राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू को नए संसद का उद्घाटन करना चाहिए। इसे लेकर एक याचिका भी दाखिल की गई थी जिसे आज सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा है कि अगर आगे ऐसा याचिका दाखिल की तो फाइन लग सकता है। वहीं, अब विपक्षी पार्टियों के उद्घाटन का बहिष्कार करने पर रक्षामंत्री ने विपक्ष से फिर से विचार करने को कहा है।
हमें संवैधानिक सत्र और सार्वजनिक समारोह में अंतर समझना चाहिए – राजनाथ सिंह
विपक्ष के बहिष्कार पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘नया संसद भवन भारत के लोकतांत्रिक संकल्प के साथ 140 करोड़ भारतीयों के स्वाभिमान और उनकी आकांक्षाओं की भी अभिव्यक्ति है। संसद भवन का उद्घाटन एक एतिहासिक अवसर है जो 21वीं सदी में फिर नहीं आएगा। हमें संवैधानिक सत्र और सार्वजनिक समारोह में अंतर समझना चाहिए।
ये विरोध करने का सही वक्त नहीं है – राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘मैं आग्रह करूंगा कि जिन राजनीतिक दलों ने बहिष्कार का निर्णय लिया है वे अपने फैसले पर राजनीतिक लाभ हानी से परे जाकर फिर से विचार करें। राजनाथ सिंह ने कहा कि ये विरोध करने का सही वक्त नहीं है। संसद भवन के उद्घाटन समारोह में विपक्ष को आना चाहिए।’
निर्मला सीतारमण भी विपक्षी दलों से फैसले पर पुनर्विचार करने की कर चुकी हैं अपील
इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी विपक्षी दलों से फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील कर चुकी हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि नया संसद भवन लोकतंत्र का मंदिर है। राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की कांग्रेस की मांग पर सीतारमण ने कहा कि छत्तीसगढ़ में विधानसभा का उद्घाटन राज्यपाल के बजाय पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किया था। वहीं, तेलंगाना के राज्यपाल सौंदराराजन ने कहा कि जब मुख्यमंत्री (केसीआर) ने विधानसभा परिसर का उद्घाटन किया था तो उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था।
हमें इस उत्सव को मिलकर मनाना चाहिए – डॉ. एस जयशंकर
वहीं, विपक्षी दलों द्वारा नए संसद के उद्घाटन का बहिष्कार करने पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि ‘मुझे लगता है कि संसद भवन का उद्घाटन लोकतंत्र का एक उत्सव है और हमें उसी तरह इसे लेना चाहिए। ये विवाद का विषय नहीं बनना चाहिए। अगर ये विवाद का विषय बनता है, तो ये दुर्भाग्य है। कुछ लोगों की ये कोशिश चल रही है लेकिन हमें इस उत्सव को मिलकर मनाना चाहिए।’
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