रांची, 24 जुलाई 2024: झारखंड हाईकोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले में, 2008 में सीपीआई (माओवादियों) के साथ मुठभेड़ में वीरता दिखाने वाले 12 पुलिसकर्मियों को 26 साल बाद उनके पदों से हटाकर फिर से कांस्टेबल बना दिया गया है। इन पुलिसकर्मियों को 2008 में वीरता के लिए “आउट ऑफ टर्न” प्रमोशन देकर सब-इंस्पेक्टर बनाया गया था।
यह मामला सिमडेगा जिला बल में तैनात पुलिसकर्मी अरुण कुमार द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें प्रमोशन के समय अनदेखा कर दिया गया था, जबकि उनके साथियों को वीरता के लिए प्रमोशन दिया गया था।
हाईकोर्ट का फैसला:
झारखंड हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वीरता के आधार पर “आउट ऑफ टर्न” प्रमोशन देना उचित नहीं है। न्यायालय ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अरुण कुमार को भी उसी वीरता पुरस्कार के लिए प्रमोशन मिलना चाहिए था जो उनके साथियों को दिया गया था।
पुलिस मुख्यालय का आदेश:
हाईकोर्ट के आदेश के बाद, झारखंड पुलिस मुख्यालय ने 22 जुलाई 2024 को एक आदेश जारी कर 12 सब-इंस्पेक्टर को उनके पदों से हटाकर उन्हें फिर से कांस्टेबल बना दिया।
इस फैसले का प्रभाव:
इस फैसले का झारखंड पुलिस में पदोन्नति की प्रक्रिया पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। यह स्पष्ट संदेश देता है कि अब केवल वरिष्ठता के आधार पर ही पदोन्नति दी जाएगी, न कि वीरता पुरस्कारों के आधार पर।
यह मामला उन पुलिसकर्मियों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो वीरता पुरस्कारों के बावजूद पदोन्नति से वंचित रह जाते हैं।