समान नागरिक संहिता पर एक बार फिर तेज हुई सियासत,UCC के पक्ष-विपक्ष में दिए जा रहे ये तर्क

01 Jul, 2023
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नई दिल्ली,  देश में समान नागरिक संहिता को लागू किए जाने को लेकर सक्रियता के साथ-साथ सियासत भी तेज हो गई है इस मुद्दे पर मानसून सत्र के दौरान संसद में विधेयक लाए जाने की अटकलों के बाद राजनीतिक दलों के समर्थन और विरोध के सुर भी तेज हो गए पिछले 3 दिनों से यूसीसी को लेकर अचानक सक्रियता बढ़ी है 27 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में अपने कार्यक्रम के दौरान जोरदार तरीके से नागरिक संहिता की पैरवी की थी इसके बाद विपक्षी खेमे के प्रमुख दल आम आदमी पार्टी ने इसका सशर्त समर्थन करने का ऐलान कर विपक्ष को अचरज में डाल दिया है विधि आयोग पहले ही परामर्श शुरू कर चुका है 13 जुलाई तक लोगों की प्रतिक्रिया मांगी गई है इसी बीच न्याय महकमे से जुड़ी संसदीय समिति ने भी इस मुद्दे पर 3 जुलाई को बैठक बुला ली है.

पक्ष और विपक्ष में तर्क के बीच समझिए समान नागरिक संहिता अर्थात् UCC बारे  में संविधान क्या कहता है? - Up18 News

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर उठाए जा रहे कदम के पीछे ‘चुनावी एजेंडा’ है। उन्होंने केंद्र सरकार से इस संबंध में उठाए गए कदम को वापस लेने की भी अपील की।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता विजयन ने यहां जारी बयान में कहा कि केंद्र के कदम को ‘‘ देश की बहु सांस्कृतिक विविधता को मिटाकर केवल बहुमत के सांप्रदायिक एजेंडे ‘एक देश, एक संस्कृति’ को लागू करने की योजना’ के तौर पर देखा जा सकता है।” उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार और विधि आयोग को समान नागरिक संहिता के संदर्भ में उठाए गए कदमों को वापस ले लेना चाहिए।”

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने गुरुवार को कहा कि महज ‘शरिया’ का विरोध ही समान नागरिक संहिता (UCC) का आधार नहीं हो सकता. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) ने इस बात पर भी जोर दिया कि यूसीसी का अर्थ कानून एवं न्याय की दृष्टि में सभी के लिए समानता भी है. शरिया, कुरान की शिक्षाओं तथा पैगंबर मोहम्मद के उपदेशों पर आधारित इस्लामिक धार्मिक कानून है, जिसका मुस्लिम समाज के लोग पालन करते हैं.

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार होने पर सीएम धामी ने प्रदेशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा ‘ प्रदेशवासियों से किए गए वादे के अनुरूप आज 30 जून को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने हेतु बनाई गई समिति ने अपना कार्य पूरा कर लिया है। जल्द ही देवभूमि उत्तराखण्ड में #UniformCivilCode लागू किया जाएगा।’

मिले ढाई लाख से अधिक सुझाव

उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का ड्राफ्ट तैयार करने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। विशेषज्ञ समिति ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने में जुटी हुई थी। मई 2022 में समिति का गठन हुआ था। गठन से लेकर अब तक समिति ढाई लाख से अधिक सुझाव ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त कर चुकी है। सभी 13 जिलों में हितधारकों के साथ सीधे संवाद कर चुकी है। नई दिल्ली में प्रवासी उत्तराखंडियों से भी चर्चा हो चुकी है।

यूसीसी क्या है?

यूसीसी सभी धर्मों के लोगों के लिए व्यक्तिगत कानूनों को एक समान संहिता रखने का विचार है। व्यक्तिगत कानून में विरासत, विवाह, तलाक, चाइल्ड कस्टडी और गुजारा भत्ता जैसे कई पहलू शामिल हैं। हालांकि, वर्तमान में भारत के व्यक्तिगत कानून काफी जटिल और विविध हैं, प्रत्येक धर्म अपने विशिष्ट नियमों का पालन करता है।

भारतीय संविधान में समान नागरिक संहिता का प्रावधान

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के मुताबिक, ‘राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।’ यानी संविधान सरकार को सभी समुदायों को उन मामलों पर एक साथ लाने का निर्देश दे रहा है, जो वर्तमान में उनसे संबंधित व्यक्तिगत कानूनों द्वारा शासित हैं। हालांकि, यह राज्य की नीति का एक निर्देशक सिद्धांत है, जिसका अर्थ है कि यह लागू करने योग्य नहीं है।

यदि यूसीसी लागू होगा तो क्याक्या बड़े बदलाव होंगे?

  • यूनिफार्म सिविल कोड लागू होने से सभी समुदाय के लोगों को एक समान अधिकार दिए जाएंगे।
  • लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।
  • समान नागरिक सहिंता लागू होने से भारत की महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा।
  • कानून के तहत सभी को व्यक्ति को समान अधिकार दिए जाएंगे।
  • लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ा दी जाएगी, ताकि वह कम से कम ग्रेजुएट हो जाएं।
  • ग्राम स्तर पर शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी। बगैर रजिस्ट्रेान के सरकारी सुविधा बंद हो जाएगी।
  • पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार और अधिकार उपलब्ध होंगे। अभी पर्सनल लॉ बोर्ड में अलग-अलग कानून हैं।
  • बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।
  • उत्तराधिकार में लड़के-लड़की की बराबर की हिस्सेदारी (पर्सनल लॉ में लड़के का शेयर ज्यादा होता है) होगी।
  • नौकरीपेशा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी भी शामिल होगी।
  • पत्नी की मौत के बाद उसके अकेले माता-पिता का सहारा महिला का पति बनेगा।
  • मुस्लिम महिलाओं को गोद लेने का हक मिलेगा, प्रक्रिया आसान कर दी जाएगी।
  • हलाला और इद्दत पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।
  • लिव-इन रिलेशन का डिक्लेरेशन देना होगा।
  • बच्चे के अनाथ होने पर गार्जियनशिप की प्रक्रिया आसानी की जाएगी।
  • पति-पत्नी में झगड़े होने पर बच्चे की कस्टडी ग्रैंड पैरेंट्स (दादा-दादी या नाना-नानी) को दी जाएगी।
  • जनसंख्या नियंत्रण पर भी बात होगी।

दुनिया के किन देशों में लागू है यूनिफॉर्म सिवल कोड

दुनिया के कई देशों में समान नागरिक संहिता लागू है। इनमें हमारे पड़ोसी देश पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश भी शामिल हैं। इनके अलावा इजरायल, जापान, फ्रांस और रूस में भी समान नागरिक संहिता लागू है। यूरोपीय देशों और अमेरिका में धर्मनिरपेक्ष कानून है, जो सभी धर्म के लोगों पर समान रूप से लागू होता है। दुनिया के ज्‍यादातर इस्लामिक देशों में शरिया पर आधारित एक समान कानून है, जो वहां रहने वाले सभी धर्म के लोगों को समान रूप से लागू होता है।

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