उपराष्ट्रपति, एम वेंकैया नायडू ने आज निजी क्षेत्र को ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक कैंसर इलाज की सुविधाएं उपलब्ध करने के लिए राज्य सरकारों के साथ आगे आने और भागीदारी करने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति आज से पूर्वोत्तर राज्यों के आठ दिवसीय दौरे पर हैं। वह आज सुबह गुवाहाटी पहुंचे। उपराष्ट्रपति का स्वागत राज्यपाल, मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने किया।
राज्य कैंसर संस्थान में पीईटी-एमआरआई विंग का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि यह न केवल अधिक सटीक इलाज में मदद करेगा, बल्कि रोगियों के विकिरण के जोखिम को भी कम करेगा। यह भारत में चौथी ऐसी मशीन है, जो टाइम-ऑफ-फ्लाइट तकनीक पर आधारित है।
उपराष्ट्रपति ने स्टेप-डाउन कैंसर देखभाल मॉडल जिसे डिस्ट्रीब्यूटेड कैंसर केयर मॉडल नाम से जाना जाता है, जिसे असम सरकार ने टाटा ट्रस्ट के साथ साझेदारी में लागू करने का तैयारी में है का उल्लेख करते हुए कहा कि अन्य राज्यों को कैंसर रोगियों को समय पर और प्रभावी इलाज प्रदान करने के लिए इसका अनुकरण करना चाहिए।
डिस्ट्रीब्यूटेड कैंसर केयर मॉडल के तहत, एल1 नामक एक एपेक्स रेफरल सेंटर, सरकारी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े व्यापक कैंसर अस्पताल, एल2एस और डायग्नोस्टिक और डे केयर सेंटर, जो जिला अस्पतालों से सटे हुए हैं, जिन्हें एल3 कहा जाता है को एक साथ जोड़ने की योजना है।
मरीजों के घरों के करीब स्टैंडर्ड के अनुसार और किफायती देखभाल प्रदान करने के लिए मरीज केंद्रित कैंसर संस्थान बनाने के उद्देश्य का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि वे कैंसर रोगी के उपचार के लिए एक शीर्ष अस्पताल के बजाय उच्च गुणवत्ता वाली कैंसर देखभाल केंद्र बनाने के पक्ष में हैं। इससे कैंसर मरीजों को उनके घर के पास और कम खर्च में इलाज मिल पाएगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि दर्द हटाने वाली औषधि की देखभाल एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिस पर सरकारों और स्वास्थ्य पेशेवरों को अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दर्द हरने वाली औषधि मूल रूप से रोगियों को देखभाल में मदद और रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती है।
नायडु ने सभी राज्य सरकारों से बच्चों को गैर-संचारी रोगों को रोकने की आवश्यकता के बारे में जागरूक करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के महत्व पर पाठों को शामिल करने का भी आग्रह किया। उन्होंने ‘जीवनशैली रोगों’ के बारे में लोगों में जागरूकता लाने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने महत्वपूर्ण सबक सिखाया है और उनमें से सबसे महत्वपूर्ण है स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखना और प्रतिरोधक क्षमता विकसित करना। अनुशासित जीवन शैली के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा कि नियमित शारीरिक गतिविधि करना, जंक फूड खाने से बचना जो किसी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, व्यक्ति के पूरी तरह से स्वस्थ्य रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उपराष्ट्रपति ने जोर दिया कि वास्तव में वे कैंसर सहित विभिन्न गैर-संचारी रोगों की बढ़ती घटनाओं को रोकने में महत्वपूर्ण हैं।
उपराष्ट्रपति ने कोविड के दौरान प्रदान की गई सेवाओं के लिए असम सरकार और राज्य के चिकित्सा समुदाय की सराहना की। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा को आम आदमी के लिए अधिक सुलभ और सस्ता बनाने का भी आह्वान किया। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री के उस कथन को दोहराया कि देश के प्रत्येक जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज की आवश्यकता है।
बाद में, उपराष्ट्रपति ने विज्ञान, साहित्य, शिक्षा, खेल, संगीत और कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले असम के 20 प्रतिष्ठित व्यक्तियों के एक समूह के साथ मुलाकात की।
उपराष्ट्रपति ने उपलब्धि हासिल करने वालों की कड़ी मेहनत, दृढ़ता, ध्यान और समर्पण की प्रशंसा करते हुए, उन्हें सच्चे कर्मयोगी बताया, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता का उदाहरण दिया। उन्होंने उनसे कहा, “आप दूसरों के लिए एक आदर्श बन गए हैं और आपका जीवन युवाओं को सर्वश्रेष्ठ हासिल करने के लिए प्रेरित करता है।”
यह कहते हुए कि भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, नायडू ने उपलब्धि हासिल करने वालों से गुरु-शिष्य परंपरा की सच्ची भावना में योग्य और महत्वाकांक्षी युवाओं का मार्गदर्शन और सलाह मुहैया कराने की अपील की। स्कृतिक प्रदर्शन- ‘बिहू अडोरोनी’ का उल्लेख करते हुए जिसे उन्होंने ब्रह्मपुत्र के विरासत केंद्र में पहले देखा था, श्री नायडू ने कहा कि वह असम की सुंदर संस्कृति और परंपरा से मंत्रमुग्ध थे।
असम के राज्यपाल, प्रो. जगदीश मुखी, असम के मुख्यमंत्री, श्री हिमंत बिस्वा सरमा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, असम सरकार केशब महंत, असम के मुख्य सचिव, जिष्णु बरुआ और अन्य गणमान्य वयक्ति इस कार्यक्रम के दौरान उपस्थित थे।