पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि जब भी कोई शिकायत संज्ञेय अपराध को दर्शाती हो, तो पुलिस को एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के ललिता कुमारी मामले के फैसले के अनुरूप है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि संज्ञेय अपराधों में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है।
क्या है मामला?
यह फैसला एक ऐसे मामले में आया है जिसमें डॉक्टरों की एक टीम ने एक अस्पताल का निरीक्षण करने से रोका गया था। डॉक्टरों ने इस घटना को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बजाय मामले को बंद कर दिया।
हाई कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट ने पुलिस के इस फैसले को गलत करार दिया और कहा कि डॉक्टरों की शिकायत में संज्ञेय अपराध बनता है। अतः पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी। कोर्ट ने कहा कि पुलिस केवल जटिल अपराधों में ही एफआईआर दर्ज करने से पहले जांच कर सकती है, लेकिन इस मामले में ऐसा कोई जटिल अपराध नहीं था।
क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?
यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के लिए बाध्य करता है, जो कि कानून के अनुसार उनका कर्तव्य है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि पीड़ितों को न्याय मिलेगा और अपराधियों को सजा मिलेगी।
ललिता कुमारी का मामला
ललिता कुमारी का मामला सुप्रीम कोर्ट का एक महत्वपूर्ण फैसला है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि जब भी कोई शिकायत संज्ञेय अपराध को दर्शाती हो, तो पुलिस को एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। इस फैसले के बाद भी कई राज्यों में पुलिस एफआईआर दर्ज करने से बचती रही है। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का यह फैसला ललिता कुमारी के फैसले को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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