500 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद, अयोध्या में एक अद्भुत और ऐतिहासिक घटना घटी। राम जन्मभूमि मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा, रामलला का, सूर्य की किरणों द्वारा अभिषेक किया गया। यह पहली बार था जब रामलला का सूर्य तिलक किया गया, जिसने इस पवित्र अवसर को और भी विशेष बना दिया।
मुख्य भाग:
- अध्यात्म और विज्ञान का मिलन: यह घटना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थी, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण थी। सूर्य तिलक वैज्ञानिक गणनाओं के आधार पर किया गया था, जो अध्यात्म और विज्ञान के अद्भुत संगम का प्रतीक था।
- भक्तों का उमड़ता जनसमूह: इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। राम भक्तों ने उत्साह और भक्ति के साथ इस क्षण का आनंद लिया।
- सुरक्षा व्यवस्था: रामनवमी के पर्व पर मंदिर में 25 लाख से अधिक भक्तों के आने का अनुमान लगाया गया था। सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए थे।
- प्रसारण: गर्भगृह के अंदर की तस्वीरों को श्रद्धालुओं तक पहुंचाने के लिए मंदिर परिसर में 100 LED स्क्रीन लगाई गई थीं।
निष्कर्ष:
यह घटना अयोध्या के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज हो गई है। 500 वर्षों के बाद रामलला का सूर्य तिलक भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय क्षण था और इसने उनके हृदय में आस्था और भक्ति की भावना को और भी मजबूत किया।
अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा, रामलला का, 500 वर्षों के बाद सूर्य की किरणों द्वारा अभिषेक किया गया। यह रामनवमी का एक ऐतिहासिक और अद्भुत क्षण था।