भारत में रविवार को खत्म हुए जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने एक बड़ा ऐलान किया। इन देशों ने मिडिल ईस्ट कॉरिडोर के साथ ही एक बड़े आर्थिक नेटवर्क के बारे में दुनिया को बताया। इस कॉरिडोर को भारत की तरफ से चीन को दिया गया बड़ा जवाब माना जा रहा हैं। वहीं इसे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) का वह सपना करार दिया जा रहा है जो मिडिल ईस्ट यानी मध्य पूर्व को यूरोप बनाने से जुड़ा था।
गौरतलब है कि शिखर सम्मेलन में शिरकत करने आए विभिन्न देशों के शासनाध्यक्ष रविवार को स्वदेश वापस लौट गए। हालांकि सम्मेलन में शिरकत करने आए क्राउन प्रिंस का राजकीय दौरा इस द्विपक्षीय वार्ता के लिए सोमवार तक जारी रहेगा। बतौर मेजबान भारत ने सऊदी अरब को विशेष मेहमान के रूप में आमंत्रित किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी20 सम्मेलन से इतर क्राउन प्रिंस के साथ यह एक द्विपक्षीय बैठक होगी. इससे पहले पीएम मोदी जी20 के अन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक कर चुके हैं.
मोहम्मद बिन सलमान शुक्रवार को भारत पहुंचे थे. साल 2019 में भी वह भारत के राजकीय दौरे पर आए थे. उसी साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा किया था, जिसमें दोनों नेताओं ने इंडिया-सऊदी स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल स्थापित की थी, जिस पर आज हस्ताक्षर हो सकते हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी से मुलाकात के बाद शाम को 8.30 बजे वह वापस लौट जाएंगे.
पिछले राजकीय दौरे में किया था कई हजार करोड़ का निवेश
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘दोनों देशों में ऊर्जा के क्षेत्र में साझेदारी मजबूत है. सऊदी अरब में भारत की करीब 24 लाख आबादी रहती है. सऊदी के विकास में उनका योगदान और दोनों देशों के बीच बहुआयामी रिश्ते बनाने में उनकी भूमिका सराहनीय है. सऊदी अरब हर साल 1,75,000 यात्रियों के लिए हज की सुविधा करता है.’ साल 2019 के रजकीय दौरे के दौरान क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने दस हजार करोड़ अमेरिकी डॉलर के निवेश के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे. उस दौरान भारत का हज कोटा भी बढ़ाया गया था. अब तकरीबन 2 लाख भारतीय सालाना हज यात्रा पर सऊदी जाते हैं.