Sawan 2023: आज सावन का पहला सोमवार, जानें पूजन विधि,और महत्व

10 Jul, 2023
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Sawan 2023: आज सावन का पहला सोमवार है. सोमवार और शिवजी के संबंध के कारण ही मां पार्वती ने सोलह सोमवार का उपवास रखा था. सावन का सोमवार विवाह और संतान की समस्याओं के लिए अचूक माना जाता है.

वैसे तो सावन का पूरा महीना ही शिव भक्ति के लिए समर्पित है, लेकिन शास्त्रों में सावन महीने में पड़ने वाले सोमवार का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। कहते हैं सावन के सोमवार के दिन जो कन्याएं व्रत रख भगवान शिव की पूजा अर्चना करती हैं, उनको सुयोग्य और मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।

सावन सोमवार 2023 शुभ योग

सावन के पहले सोमवार पर गजकेसरी योग बुध, शुक्र योग, लक्ष्मी नारायण योग, सूर्य और बुध की युती से बुधादित्य जैसे राजयोग बन रहे हैं। ऐसे में इस दिन का महत्व कई गुणा ज्यादा बढ़ गया है।

सावन सोमवार 2023 पूजा विधि

सावन सोमवार पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करे साफ कपड़े धारण कर लें। उसके बाद शिव जी के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। फिर घर के मंदिर में सभी भगवानों का गंगाजल का छिड़काव करें। फिर भगवान शिव का जलाभिषेक करें और पंचामृत भी चढ़ाएं। इस दौरान ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद भोलेनाथ को सफेद चंदन, अक्षत, सफेद फूल, बेलपत्र, धतूरा, सुपारी आदि चढ़ाएं। शमी के पत्ते भी चढ़ाएं ऐसा करने से शनि दोष दूर होंगे। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भोलेनाथ का गन्ने के रस से अभिषेक करने पर धन लाभ होता है। उसके बाद शिव जी को फल-मिठाईयों का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद शिव चालीसा का पाठ करें। वहीं सावन के पहले सोमवार पर कई खास संयोग बन रहा है। ऐसे में भगवान शिव के मंत्रों का भी जाप जरूर करें। उसके बाद शिव चालीसा का भी पाठ जरूर करें। फिर इस दिन सावन सोमवार की कथा पढ़ें या सुनें। आखिर में भगवान शिव की आरती करें। आरती के बाद सभी को पूजा का प्रसाद बांटें।

सावन के सोमवार पूजा का महत्व?
सावन के सोमवार शिवजी की पूजा बड़ी ही फलदायी और मंगलकारी होती है. अगर कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह होने में अड़चनें आ रही हों तो सावन के सोमवार पर पूजा करनी चाहिए. अगर कुंडली में आयु या स्वास्थ्य बाधा हो या मानसिक स्थितियों की समस्या हो तब भी सावन के सोमवार की पूजा उत्तम होती है. सावन के सोमवार को शिवजी की पूजा सर्वोत्तम होती है. इसमें मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है और उस पर जल और बेल पत्र अर्पित किया जाता है.

शिव पूजन में इन बातों का रखें विशेष ध्यान

स्नान कर के ही पूजा में बैठें.
साफ सुथरा वस्त्र धारण करें.
आसन एक दम स्वच्छ चाहिए (दर्भासन हो तो उत्तम).
पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह कर के ही पूजा करें.
बिल्व पत्र पर जो चिकनाहट वाला भाग होता है, वही शिवलिंग पर चढ़ाएं (खंडित बिल्व पत्र मत चढ़ाएं).
संपूर्ण परिक्रमा कभी न करें (जहां से जल पसार हो रहा हे वहां से वापस आ जाएं).
पूजन में चंपा के पुष्प का प्रयोग ना करें.
बिल्व पत्र के उपरांत आक के फुल, धतुरा पुष्प या नील कमल का प्रयोग अवश्य कर सकते हैं.
शिव प्रसाद से कभी भी इंकार न करें.

सावन के सोमवार पर क्या रहेगा शुभ मुहूर्त


सनातन परंपरा के अनुसार, सावन के सोमवार के दिन भगवान शिव के शिवलिंग पर जलाभिषेक करके व्रत की शुरुआत की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस बार सावन के पहले सोमवार का शुभ महूर्त शाम को 5 बजकर 38 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक चलेगा. माना जाता है कि शाम के दौरान भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने से जातक की सभी परेशानियों से निजात मिल जाती है.

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