सेला सुरंग: चीन को कड़ा संदेश
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में दुनिया की सबसे लंबी टू लेन टनल देश को समर्पित कर दी है। यह सुरंग चीन सीमा के बेहद करीब है और चीन से जारी तनाव के बीच इसे बेहद अहम माना जा रहा है।
सुरक्षा और रणनीतिक महत्व:
सेला सुरंग 13000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और चीन सीमा से केवल 40 किलोमीटर दूर है।
यह सुरंग चीन की सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए त्वरित आवाजाही और रसद आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
सुरंग के माध्यम से सैनिकों और भारी हथियारों को एलएसी पर तेज़ी से तैनात किया जा सकता है।
यह सुरंग चीन को एक कड़ा संदेश देती है कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है।
आर्थिक महत्व:
सेला सुरंग तवांग को हर मौसम में सड़क मार्ग से जोड़ती है, जिससे पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
तवांग के लोग अब सर्दियों में भी आसानी से राज्य के अन्य हिस्सों से जुड़ सकेंगे।
यह सुरंग अरुणाचल प्रदेश के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
मुख्य विशेषताएं:
यह दुनिया की सबसे लंबी टू लेन टनल है, जो 2.5 किलोमीटर लंबी है।
सुरंग में आपातकालीन स्थिति के लिए एस्केप ट्यूब भी लगाई गई है।
सुरंग के निर्माण में 825 करोड़ रुपये की लागत आई है।
निष्कर्ष:
सेला सुरंग भारत की रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह सुरंग चीन को एक कड़ा संदेश देती है कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है और साथ ही अरुणाचल प्रदेश के विकास को भी गति देगी।
TAGS : #सेलासुरंग , #अरुणाचलप्रदेश , #चीन , #भारत , #रणनीतिक , #आर्थिक ,
Deepa Rawat