लंबे मंथन के बाद कांग्रेस ने सिद्धारमैया को एक बार फिर राज्य का सीएम बनने का मौका दिया है। इसका कारण है कि वह जन नेता की छवि रखते हैं। उन्हें सीएम-डिप्टी सीएम दोनों का अनुभव है। उन्हें पार्टी के ज्यादातर विधायकों का साथ मिला था। वहीं, शिवकुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों का भी उन्हें फायदा मिला है।
नई दिल्ली: कर्नाटक में कांग्रेस की बंपर जीत के बाद सिद्धारमैया ने दूसरी बार सीएम पद की तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने आज डिप्टी सीएम के पद की शपथ ली। बेंगलुरु में हो रहे राज्य के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार शामिल हुए। इस शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस विधायक डॉ जी परमेश्वर, केएच मुनियप्पा, केजे जॉर्ज, एमबी पाटिल ने मंत्री पद की शपथ ली। वहीं, सतीश जारकीहोली और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे, विधायक रामलिंगा रेड्डी और बीजेड जमीर अहमद खान भी आज राज्य मंत्रिमंडल में मंत्रियों के रूप में शपथ ली।
कौन है कर्नाटक के दूसरी बार मुख्यमंत्री बने सिद्धारमैया ?
12 अगस्त 1948 को जन्मे सिद्धारमैया ने मैसूर विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री ली और बाद में वहीं से कानून की पढ़ाई की। राजनीति में आने से पहले सिद्धारमैया वकालत करते थे। उन्होंने 1983 चामुंडेश्वरी निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़कर पहली बार कर्नाटक विधानसभा में प्रवेश किया। वह इस निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार जीते और तीन बार उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा। सिद्धारमैया ‘कन्नड़ कवलू समिति’ के पहले अध्यक्ष थे। यह एक निगरानी समिति थी जिसे रामकृष्ण हेगड़े के मुख्यमंत्री रहने के दौरान कन्नड़ को आधिकारिक भाषा के रूप में कार्यान्वयन करने की जिम्मेदारी मिली थी। बाद में वे पशुपालन और पशु चिकित्सा मंत्री भी बने।
सिद्धारमैया का राजनीतिक सफर
1992 में, सिद्धारमैया को जनता दल के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। 1994 में वे देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली जनता दल सरकार में वित्त मंत्री बने और बाद में 1996 में उपमुख्यमंत्री के रूप में काम किया। हालांकि, उन्हें 1999 में मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया। जिसके बाद वे जनता दल (सेक्युलर) में शामिल हो गए। 2004 से लेकर 2005 तक कांग्रेस और जेडी (एस) की गठबंधन सरकार में वह दोबारा उपमुख्यमंत्री बने। हालांकि, 2005 में देवगौड़ा के साथ मतभेदों के बाद उन्हें जेडी (एस) से निकाल दिया गया।
साल 2006 में सिद्धारमैया कांग्रेस में हुए शामिल
साल 2006 में सिद्धारमैया कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस में शामिल होने से पहले सिद्धारमैया जनता दल के कई गुटों के सदस्य रह चुके थे।साल 2013 से 2018 के बीच उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवा दी। वह बीते 40 साल में पहले व्यक्ति बने थे। जिन्होंने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। साथ ही देवराज उर्स के बाद कर्नाटक के इतिहास में दूसरे मुख्यमंत्री ने जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। इसके साथ ही वह 13 बार राज्य के बजट पेश करने वाले नेता रहे हैं जोकि एक रिकॉर्ड है। हालांकि, साल 2018 के चुनाव में वह मुख्यमंत्री होने के बावजूद मैसूर के चामुंडेश्वरी सीट से जेडी (एस) के जी टी देवगौड़ा से चुनाव हार गए थे, लेकिन उन्होंने बादामी सीट से जीत हासिल की थी। इस साल के विधानसभा चुनाव में वह वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 46,163 मतों के अंतर से हराकर भारी जीत दर्ज की। बता दें , सिद्धारमैया हमेशा कांग्रेस नेतृत्व के स्वीकार्य रहे हैं। इस चुनाव से पहले ही उन्होंने घोषणा की थी कि यह उनका आखिरी चुनाव है।
कर्नाटक में 135 सीटें हासिल कर कांग्रेस ने बनाई अपनी सरकार
बता दें ,10 मई को राज्य में चुनाव हुए थे और 13 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए थे। कांग्रेस ने 135 सीटों, बीजेपी ने 66 सीटों और जेडीएस ने 19 सीटों पर जीत हासिल की। राहुल गांधी के बाद कर्नाटक के नए सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि कांग्रेस ने जनता को जो 5 गारंटी दी थी, वे भी आज ही लागू हो जाएंगी।
सिद्धारमैया ने कर्नाटक को दी थी यह 5 गांरटी
– गृह ज्योति योजना के तहत 200 यूनिट मुफ्त बिजली।
– गृह लक्ष्मी योजना के तहत हर परिवार की महिला मुखिया को 2,000 रुपये मासिक सहायता।
– युवा निधि योजना के तहत बेरोजगार स्नातकों को हर महीने 3,000 रुपये और बेरोजगार डिप्लोमा धारकों को दो साल के लिए 1,500 रुपये दिए जाएंगे।
– अन्न भाग्य के तहत बीपीएल के परिवार के हर सदस्य को 10 किलो मुफ्त चावल।
– शक्ति योजना के तहत सार्वजनिक परिवहन बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा।
दूसरी बार इस कारण से बनाया गया सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री
गौरतलब है कि कांग्रेस में सीएम पद की दावेदारी को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच कई दिन तक गतिरोध जारी रहा था। हालांकि, कई दिनों तक चली बैठक और आलाकमान की समझाइश के बाद दोनों नेताओं में सहमति बन सकी। सिद्धारमैया आज कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लंबे मंथन के बाद कांग्रेस ने सिद्धारमैया को एक बार फिर राज्य का सीएम बनने का मौका दिया है। इसका कारण है कि वह जन नेता की छवि रखते हैं। उन्हें सीएम-डिप्टी सीएम दोनों का अनुभव है। ज्यादातर सर्वे में भी वह लोगों की पहली पसंद रहे हैं। उन्हें पार्टी के ज्यादातर विधायकों का साथ मिला था। इसके अलावा उनके पास इस बार सीएम बनने का यह आखिरी मौका था। वहीं, शिवकुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों का भी उन्हें फायदा मिला है।
deputy chief minister, deshhit news, DK Shivakumar, karnataka assembly election 2023, Siddaramaiah