श्रीलंका मानवीय संकट के बीच फंसा हुआ है और विदेशी कर्ज ने पहले से ही उसकी कमर तोड़ रखी थी और अब कोरोना महामारी के चलते आय का सबसे बड़ा स्रोत पर्यटन उद्योग पूरी तरह से तबाह हो चुका है. रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते बचे-कुचे पर्यटक भी नहीं आ रहे हैं.
नई दिल्ली: भारत के दक्षिणी छोर पर हिंद महासागर में बसा खूबसूरत देश श्रीलंका बेहद संकट में है. कोरोना और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच श्रीलंका की अर्थव्यवस्था काफी दहनीय स्थिति में पहुंच गई है, वहां पर खाद्य पदार्थ से लेकर पेट्रोल-डीजल और बिजली की मारामारी देखने को मिल रही है. श्रीलंका में बिजली महंगी होने के कारण वहां पर कई-कई घंटे के कट लागाये गये हैं मीडिया की खबरों के अनुसार अभी एक-दो दिन पहले कम-से-कम 12-13 घंटे का कट लगाया था जिसके कारण वहां के आम नागरिकों को काफी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.
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श्रीलंका मानवीय संकट के बीच फंसा हुआ है और विदेशी कर्ज ने पहले से ही उसकी कमर तोड़ रखी थी और अब कोरोना महामारी के चलते आय का सबसे बड़ा स्रोत पर्यटन उद्योग पूरी तरह से तबाह हो चुका है. रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते बचे-खुचे पर्यटक भी नहीं आ रहे हैं. महंगाई की मार ने देशवासियों के जीवन में उथल-पुथल मचा दी है. श्रीलंका के राष्ट्रपति के खिलाफ देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. विशेषज्ञ कह रहे हैं कि श्रीलंका का वित्तीय संकट जल्द ही मानवीय संकट में तब्दील हो सकता है और देश को दिवालियेपन की ओर धकेल सकता है. ऐसे में यह समझना महत्वपूर्ण हो जाता है कि आखिर छोटा सा द्वीपीय देश इतने बुरे दिन क्यों देख रहा है? क्या देश को बर्बाद करने में चीन का हाथ है? और एक पड़ोसी देश होने के नाते भारत क्या कर रहा है.
श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की खिलाफ वहां के आम नागरिक विरोध प्रदर्शन कर उनके इस्तीफे की मांग को लेकर बृहस्पतिवार को उनके आवास के सामने जमा हुए प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछार भी की. श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण ईंधन जैसी आवश्यक चीजों की कमी हो गई है साथ ही रसोई गैस की भी कमी हो गई है और बिजली कटौती दिन में 13 घंटे तक की जा रही है. प्रदर्शनकारियों ने राजपक्षे सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कहा कि सरकार के कुप्रबंधन के कारण विदेशी.
श्रीलंका आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका के नागरिकों ने भारत में शरण लेना शुरू कर दिया है भारतीय तटरक्षक बल ने मंगलवार को तीन बच्चों सहित छह श्रीलंकाई नागरिकों को गिरफ्तार किया, जो जाफना और कोकुपडैयन के निवासी हैं. वे कथित तौर पर बेरोजगारी और भोजन की कमी का सामना कर रहे थे. उन्हें तमिलनाडु में रामेश्वरम के पास एक द्वीप से बचाया गया था.
श्रीलंका के आर्थिक संकट के बीच भारत ने भी श्रीलंका की ओर हाथ बढ़ा रहा हैं अभी हाली में जब बिम्सटेक संगठन देशों का सम्मलन हुआ तो भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने श्रीलंका के राष्ट्रपति से मुलाकत कर उन्होंने भरोसा दिलाया की वह भारत उनकी हरसंभव मदद करेगा, वही एस. जयशंकर ने तत्काल ही श्रीलंका को 100 बिलियन डॉलर देने की घोषणा भी कर दी थी, वही दूसरी ओर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के स्टालिन दिल्ली में तीन दीन के दौरे पर आये हैं, उन्होंने दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकत कर श्रीलंका के आर्थिक संकट पर बातचीत की और कहा कि श्रीलंका को भारत के द्वारा कुछ मदद देनी चाहिए ताकि श्रीलंका को इस आर्थिक संकट से बाहर निकाला जा सके. वर्तमान समय में देश की आर्थिक संकट से वहां पर शान्ति व्यवस्था बेहाल हो गई है वहां लोग सड़कों पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, अब ये आन्दोलन हिंसक होता जा रहा रहा है, अगर हमने श्रीलंका की मदद नहीं की तो वहां की हालत बहुत ज्यादा गंभीर स्थिति में पहुँच जाएगी. इन्हीं सब समस्या को देखते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के स्टालिन ने श्रीलंकाई तमिलों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए केंद्र से अनुमति मांगी है.