10 अप्रैल 2024 को, भारत के उच्चतम न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद के विवादित विज्ञापनों के मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा दायर माफीनामे को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अमानतुल्लाह की बेंच ने पतंजलि के वकीलों को आदेश दिया कि वे आगे कोर्ट का समय बर्बाद न करें और गंभीर प्रतिक्रिया दें।
न्यायालय ने टिप्पणी की कि पतंजलि द्वारा बार-बार कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन गंभीर चिंता का विषय है। न्यायालय ने बाबा रामदेव को चेतावनी दी कि वह अपनी प्रसिद्धि और प्रभाव का दुरुपयोग न करें और लोगों के जीवन से न खेलें।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि पतंजलि अपने विज्ञापनों को तुरंत बंद करे और भविष्य में ऐसी गलतियों को न दोहराए।
यह मामला 2018 में शुरू हुआ था जब कई लोगों ने पतंजलि के उत्पादों के विज्ञापनों को भ्रामक और गैरकानूनी बताते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।
उच्चतम न्यायालय ने पतंजलि को अपने विज्ञापनों को तुरंत बंद करने का आदेश दिया था। पतंजलि ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया और विज्ञापनों को प्रसारित करता रहा। इसके बाद कोर्ट ने पतंजलि को जुर्माना भी लगाया था।
यह मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है।
यह मामला महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उच्चतम न्यायालय द्वारा विज्ञापनों के नियमन और उपभोक्ता सुरक्षा के प्रति कड़ी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
यह मामला व्यवसायों को चेतावनी देता है कि वे अपने विज्ञापनों में सत्य और नैतिकता का पालन करें।