First Sawan Somwar 2024: लखीमपुर खीरी जिले का पौराणिक शहर गोला गोकर्णनाथ, जिसे छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है, सावन महीने में शिव भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है। सोमवार को सावन के पहले सोमवार पर इस प्राचीन शिव मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की।

प्राचीन मंदिर की पौराणिक कथा

गोला गोकर्णनाथ मंदिर की अपनी एक अद्भुत पौराणिक कथा है। मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां मृग रूप में विचरण किया था। वराह पुराण में वर्णन है कि भगवान शंकर वैराग्य उत्पन्न होने पर यहां के वन क्षेत्र में भ्रमण करने आए और रमणीक स्थल देखकर यहीं रम गए. ब्रह्मा, विष्णु और इंद्र को चिंता हुई और वह उन्हें ढूंढने के लिए निकले तो इस वन प्रांत में विशाल मृग को सोते देखकर समझ गए कि यही शिव हैं. वे जैसे ही उनके निकट गए तो आहट पाकर मृग भागने लगा. रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी और भगवान शिव ने उसे एक शिवलिंग दिया था। रावण इस शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था, तभी उसे गोला गोकर्णनाथ में रुकना पड़ा और उसने शिवलिंग को यहां स्थापित कर दिया था।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

सावन मास में भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। सीसीटीवी कैमरों से मंदिर परिसर की निगरानी की जा रही है और पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि भक्तों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

जिले के अन्य मंदिरों में भी उमड़ी भीड़

गोला गोकर्णनाथ के अलावा, जिले के अन्य प्राचीन शिव मंदिरों जैसे लिलैटिनाथ मंदिर, मोहम्मदी का प्राचीन शिव मंदिर और अलीगंज के प्राचीन कलेस हरण मंदिर बांसी में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी।

समाजिक एकता का प्रतीक

सावन का महीना सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक है। विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग इस त्योहार को मिलकर मनाते हैं।

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रिपोर्ट – कमल त्रिवेदी