“सबका साथ,सबका विकास और सबका प्रयास” का एक वास्तविक है उदाहरण : मंत्री पुरशोत्तम रूपाला

18 Oct, 2021
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नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट मंत्री पुरशोत्तम रूपाला ने सुरेंद्रनगर के चोटिला के निकट नवा गांव में सरस्वती विद्या मंदिर के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया। यह भवन 11 करोड़ रुपये से अधिक दान की गई राशि से बना है। इंडियन फैमिली एसोसिएशन कनाडा और उर्मिसरोज चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा सुरेंद्रनगर के चोटिला के निकट वाडी वसाहट में सरस्वती विद्या मंदिर नाम से स्कूल बनवाया है। इस नवनिर्मित भवन के उद्घाटन समारोह में कैबिनेट मंत्री पुरशोत्तम रूपाला,  माधव प्रियदासजी स्वामी,  रमेशभाई ओझा, सांसद रामभाई मोकरिया और सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नितिन पेठानी शामिल हुए।

इस मौक पर पुरशोत्तम रूपाला ने प्रशंसा करते हुए कहा कि यह स्कूल इस बात का जीवंत उदाहरण है कि किस प्रकार जीवन बदलने वाले अनुभवों के माध्यम से कोई इंसान या समूह अपनी सार्थक मदद से समाज को नया आयाम और नई दिशा दे सकता है। श्री पुरशोत्तम रूपाला ने कहा कि अति पिछड़े वाडी समुदाय के छात्रों को स्कूल सौंपने पर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। आगे उन्होंने कहा कि यह पहल गुजरात में एक उदाहरण स्थापित करेगी क्योंकि इसका उद्देश्य गांव और शहर के बीच की खाई को दूर करना है।

मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि वादी वसाहट में सरस्वती विद्या मंदिर “सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास” का एक वास्तविक उदाहरण है। पूज्य माधव प्रियस्वामी ने उर्मीसरोज चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक श्री जगदीश त्रिवेदी की काफी प्रशंसा की और इसे अभूतपूर्व कदम बताया। साथ ही उन्होंने विश्वास जताया कि भविष्य में ऐसे जनकल्याण के काम और भी होते रहेंगे।

स्कूल के उद्घाटन के पीछे की कहानी दिलचस्प है क्योंकि यह एक ऐसे व्यक्ति द्वारा पूर्णत: परोपकार का कार्य है जिसने दबे-कुचले तबके के कल्याण के लिए अपनी कमाई खर्च करने का संकल्प लिया। उर्मीसरोज चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना इसके संस्थापक जगदीश त्रिवेदी ने वर्ष 2016 में की थी। उनका मानना है कि “मानवता की सेवा ही ईश्वर की सेवा है”। उन्होंने समाज की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया और सेवानिवृत्ति के बाद 11 करोड़ रुपए दान करने की सार्वजनिक रूप से प्रतिबद्धता व्यक्त की, जिसका जीता जागता प्रमाण यह स्कूल है।जगदीश त्रिवेदी का कहना है कि समाज को स्कूल सौंपना केंद्रीय मंत्री पुरशोत्तम रूपाला द्वारा प्रेरित है, जिन्होंने यह सुनिश्चित करने में प्रेरक भूमिका निभाई कि अति पिछड़े वाडी समुदाय के बच्चों को शिक्षा के लिए बुनियादी ढांचा मिल सके।

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