यूनिफॉर्म सिविल कोड पर जारी विवाद के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) की तरप से पत्र जारी किया गया है. पत्र में लोगों से यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध करने का आह्वान किया गया है.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जारी किया पत्र
जानकारी के मुताबिक ये पत्र ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ के महासचिव मोहम्मद फजलुर्रहीम मुजद्दीदी की ओर जारी किया गया है। इसमें लिखा है, ‘आप सबको ज्ञात होगा कि हमारे देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने का माहौल बनाया जा रहा है। अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों के इस देश को समान नागरिक संहिता के माध्यम से धार्मिक व सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर चोट पहुंचायी जा रही है। इसी संबंध में भारत के विधि आयोग ने देश के लोगों से राय मांगी है।
आगे लिखा है कि हमें इस संबंध में बड़े पैमाने पर उत्तर देना चाहिए और समान नागरिक संहिता का विरोध करना चाहिए। पत्र में एक लिंक भी दिया गया है, जिस पर क्लिक करने के बाद और जीमेल खुलने पर उत्तर सामग्री आपके सामने आएगी। वहां अपने नाम के साथ सेंड बटन पर क्लिक करने से लोगों का जवाब विधि आयोग तक पहुंचेगा।
बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हुए कहा था कि एक देश में दो कानून नहीं हो सकते हैं।
क्याहैसमाननागरिकसहिंता?
समान नागरिक सहिंता देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानूनों की बात करती है. यानी, विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम देश में इस समय अलग-अलग धर्मों को लेकर अलग-अलग कानून हैं, इसलिए देश में बीजेपी बीते काफी सालों से यूसीसी लाने का प्रयास कर रही है, ये उसके कई चुनावी वादों में से एक बड़ा चुनावी वादा भी है.
कैसीहोगीसमाननागरिकसहिंता?
चूँकि अभी विधि आयोग ने देश के नागरिकों से यूसीसी को लेकर सुझाव मांगे हैं, और इन सुझावों की अंतिम तिथि 15 जुलाई होगी, इसके बाद मिले सुझावों के आधार पर कानून मंत्रालय और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों, राजनीतिज्ञों, शिक्षाविदों और सभी धर्मों के लोगों की एक कमेटी की भी राय ली जाएगी, और उनके सुझावों के आधार पर कानूनी जानकारी रखने वाली एक टीम इसका प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार करेगी. उस ड्राफ्ट के तैयार होने के बाद ही यह पता चल सकेगा कि आखिर देश में यह कानून किस तरह का होगा.
हालांकि अभी तक की मिली जानकारी के अनुसार यूसीसी इन मुद्दों को टॉरगेट करेगी…
- मैरिज
- डिवोर्स
- उत्तराधिकार
- एडॉप्शन
- गार्जियनशिप और
- जमीन और संपत्ति का बंटवार
क्या पर्सनल लॉ को रिप्लेस कर देगी यूसीसी?
दावा किया जा रहा है कि यूसीसी भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार को सुनिश्चित करेगी, साथ ही अनुच्छेद 15 के तहत रिलीजन, रेस, कास्ट, सेक्स या फिर प्लेस ऑफ बर्थ के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव पर रोक लगाने का काम करेगी. ये कानून पर्सनल लॉ या फिर धार्मिक किताबों पर आधारित कानूनों और परंपराओं को इस यूनिफार्म सिविल कोड से रिप्लेस किया जाएगा.
UCC पर क्या है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का रुख?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग के सुझाव मांगे जाने को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है. बोर्ड ने कहा है कि भारत में इस तरह का कानून बनाने बेवजह देश के संसाधनों को बर्बाद करना है और यह समाज में वेवजह अराजकता का माहौल बनाएगा. मुस्लिम बोर्ड का कहना है कि इस समय यह कानून लाना अनावश्यक, अव्यहारिक और खतरनाक है.
मुस्लिम लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एसक्यू आर. इलियास ने एक बयान में कहा था कि मुस्लिम लॉ बोर्ड में बनाए गये कानून मुस्लिमों की पवित्र किताब कुरान से ली गई है और उसमें लिखी बातों को काटने और बदलने की इजाजत खुद मुसलमानों को भी नहीं है. तो फिर सरकार कैसे एक कानून के जरिए इसमें दखलंदाजी कर सकती है.