देहरादून: धामी सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य सरकार के कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सुबह और शाम की शाखाओं में भाग लेने की अनुमति दे दी है। कर्मचारियों को आरएसएस द्वारा आयोजित सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में भी भाग लेने की अनुमति होगी। यह आदेश अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने जारी किया है। सरकार ने स्पष्ट किया कि इस निर्णय को राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।
राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में एक अन्यायपूर्ण आदेश जारी किया गया था, जिसमें आरएसएस की गतिविधियों में भागीदारी को प्रतिबंधित किया गया था। उन्होंने कहा कि उनके सहित कई सरकारी कर्मचारी सरकारी पदों पर रहते हुए आरएसएस की शाखाओं में जाते थे। बंसल ने आगे बताया कि जब भी नोटिस या कानूनी चुनौतियां सामने आईं, तो अदालतों ने लगातार कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया। नरेश बंसल ने जोर देकर कहा कि इन कानूनी मामलों में जीत आरएसएस के राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक संगठन होने के कारण मिली है।
बंसल ने देशभक्ति, राष्ट्रीय गौरव और अनुशासन को बढ़ावा देने के लिए आरएसएस की प्रशंसा की। उन्होंने कांग्रेस के समय की पाबंदियों को खत्म करने के मौजूदा सरकार के फैसले की भी सराहना की और इसे सकारात्मक कदम बताया। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा महरा दसौनी ने इसे “शर्मनाक” कदम बताया। उन्होंने कहा कि नियमों के मुताबिक सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक पार्टी की गतिविधियों में भाग लेने से प्रतिबंधित किया गया है। उन्होंने आरएसएस के सामाजिक संगठन होने के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह राजनीति में गहराई से जुड़ा हुआ है।
दसौनी ने चिंता जताई कि सरकारी कर्मचारी अब अपने आधिकारिक कर्तव्यों की तुलना में आरएसएस के कार्यक्रमों में भाग लेने को प्राथमिकता दे सकते हैं। उन्होंने फैसले के समय की भी आलोचना की और राज्य के महत्वपूर्ण मुद्दों से जूझने के दौरान इसकी तत्काल आवश्यकता पर सवाल उठाया और सरकार पर ऐसा फैसला लेने का आरोप लगाया जिसमें जनहित का अभाव है।
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