उत्तराखंड : हरीश रावत स्टिंग ऑपरेशन प्रकरण, CBI अदालत ने आरोपियों को पेश होने को कहा, लिए जायेंगें वॉइस सैंपल !

24 Jun, 2023
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देहरादून : उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग का प्रकरण एक बार फिर से चर्चाओं में है। साल 2016 का बहुचर्चित स्टिंग ऑपरेशन मामला एक बार फिर से सामने आने के बाद उत्तराखंड की सियासत में हलचल तेज हो गई है।

सीबीआई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat), पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट और स्टिंग ऑपरेशन के सूत्रधार निर्दलीय विधायक उमेश कुमार को नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं। सीबीआई ने हाईकोर्ट में इन चारों के वॉइस सैंपल लेने की अनुमति के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश धर्मेंद्र सिंह अधिकारी की अदालत में इस मामले की सुनवाई 20 जून को हुई। सीबीआई की ओर से अभियोजन अधिकारी सियाराम मीणा और सीबीआई इंस्पेक्टर सुशील कुमार वर्मा ने अदालत में प्रार्थना पत्र दिया। इस प्रार्थना पत्र के माध्यम से सीबीआई ने हरीश रावत हरक सिंह रावत उमेश कुमार और मदन सिंह बिष्ट केवल सैंपल लेने के लिए अनुमति मांगी थी।

CBI से जारी पत्र

और अब इस मामले में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि हम प्रतिपक्ष हैं। हमारी आवाज को दबाने का प्रयास किया जाता रहेगा। हालांकि, उन्होंने ये भी साफ किया कि वो किसी जांच एजेंसी से डरने वाले नहीं हैं, और जांच में पूरा सहयोग करेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि अभी तक उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है, और नोटिस मिलने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। यह नोटिस जारी होते ही राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर हलचल बढ़ गई है। इस पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने आज एक वीडियो जारी किया है। वीडियो में उन्होंने कहा है कि सत्यमेव जयते।

सुनिए इस वीडियो में पूर्व CM ने क्या कहा ….

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत

बता दें कि साल 2016 में उत्तराखंड के तत्कालीन हरीश की कांग्रेस सरकार में राजनीतिक ताकत दिखाने के लिए सरकार के अपने ही 9 विधायक बाकी हो गए थे इन विधायकों में विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, शैला रानी रावत, उमेश शर्मा शैलेंद्र मोहन, अमृतराव, सुबोध उनियाल प्रदीप बत्रा शामिल थे. इस बीच एक निजी चैनल में हरीश रावत का एक स्टिंग दिखाया गया था जिसमें उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार बचाने के लिए विधायकों की खरीद फरोख्त करते नजर आए थे तब विपक्ष यानी बीजेपी ने इस प्रकरण को पुरजोर तरीके से उठाया और इस मामले में लगातार सरकार को घेरने की कोशिश की.  इनके बगावती तेवरों की आज इतनी बढ़ गई थी कि इसकी तपिश सुप्रीमकोर्ट तक पहुंची जहां से हरीश रावत सरकार फिर से बहाल हो गई थी नतीजन  उत्तराखंड में 3 महीने तक उहापोह की स्थिति बनी रही और आखिरकार उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा.लेकिन इस बीच रहे राष्ट्रपति शासन के दौरान तत्कालीन राज्यपाल की संतुष्टि पर केंद्र ने स्टिंग प्रकरण की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं मामले में पूर्व सीएम हरीश रावत ने याचिका दायर कर कहा था कि साल 2017 में कांग्रेस की सरकार गिरने पर उनके स्टिंग और विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में प्रारंभिक जांच पर रोक लगाई जाए.

यह स्टिंग भी उमेश कुमार की ओर से ही जारी किया गया था। बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई थी। अब मामले की जांच इन चारों नेताओं के वॉयस सैंपल लेने पर टिकी हुई है, जिससे कि इनकी आवाज का मिलान स्टिंग में रिकॉर्ड हुई आवाज से किया जा सके। 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग के बाद उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल आ गया था। दोनों ही स्टिंग को लेकर उमेश कुमार ने दावा किया था कि हरीश रावत सरकार को बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की डीलिंग की जा रही थी। स्टिंग में रुपयों के लेन-देन होने की बात का दावा भी किया गया था। वर्तमान में उमेश कुमार खानपुर विधानसभा क्षेत्र से और मदन बिष्ट द्वाराहाट विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।

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