नई दिल्ली: 23 अप्रैल से दिल्ली के जंतर- मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों का मुद्दा बीती रात गर्मा गया। बुधवार की रात को जंतर मंतर पर जारी पहलवानों के धरने में जमकर बवाल हुआ। बताया जा रहा है कि धरना दे रहे पहलवानों और कुछ पुलिसकर्मियों के बीच रात 11 बजे हाथापाई हुई है और इस हाथापाई की वजह फोल्डिंग बेड थी। दरअसल, बारिश के चलते गद्दे गीले हो गए थे, ऐसे में धरनास्थल पर फोल्डिंग बेड लाए जा रहे थे। जब पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोका तो ये पूरा बवाल शुरू हुआ। पहलवानों के मुताबिक, नशे में धुत धर्मेंद्र नाम के पुलिसकर्मी ने विनेश फोगट को गाली दी और उनके साथ हाथापाई की। पुलिस ने पहलवानों को मारना शुरू कर दिया। इस हाथापाई में बजरंग पुनिया के साले दुष्यंत और राहुल के सिर में चोटें आई हैं। पहलवानों ने आगे बताया कि पुलिस ने डॉक्टरों को भी मौके पर पहुंचने नहीं दिया। उन्होंने बताया कि महिला कांस्टेबल ने भी उनके साथ बदसलूकी की है।
मैं तो कहुंगी की देश के किसी भी खिलाड़ी को देश के लिए मेडल नहीं जीतना चाहिए- विनेश फोगाट
दिल्ली के जंतर-मंतर पर बुधवार देर रात विनेश फोगाट दिल्ली पुलिस के साथ हुए विवाद के बाद मीडिया के सामने रो पड़ीं। विनेश फोगाट ने कहा, बारिश की वजह से, जहां हम अब तक जमीन में सो रहे थे। वहां पर पानी भर गया जिसके लिए हमने अपने सोने के लिए चारपाई मंगाई लेकिन पुलिस ने हमें वह चारपाई नहीं लाने दी। रोते हुए मीडिया से बात करते हुए विनेश फोगाट ने कहा, जब हमने देश के लिए मेडल जीते थे तब कभी नहीं सोचा था कि एक दिन हमें भी यह दिन देखना पड़ेगा। मैं तो कहुंगी की देश के किसी भी खिलाड़ी को देश के लिए मेडल नहीं जीतना चाहिए।
हम जब अपने सोने के लिए लकड़ी के फट्टे मंगा रहे थे तो पुलिस वालों ने हमसे कहा-सो जाओ, मर जाओ, – विनेश फोगाट
विनेश ने दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा- नशे में धुत एक पुलिसकर्मी ने हमारे साथ बदतमीजी की, हम अपने मान-सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं और उस लड़ाई का सिला यह है कि यहां पर पुलिस वाले ने हमें चेस्ट से धक्का दिया। विनेश ने आगे कहा, इतने कांड करने के बाद भी वो बृजभूषण अपने घर में आराम से सो रहा है लेकिन हमें यहां ऐसी हालत में रहना पड़ रहा है। हम जब अपने सोने के लिए लकड़ी के फट्टे (प्लाई से बनी चारपाई) मंगा रहे थे तो पुलिस वालों ने हमसे कहा- सो जाओ, मर जाओ।
जब से बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ FIR दर्ज हुई हैं, तब से ही हम लोगों को गाली दी जा रही है – बजरंग पुनिया
बता दें, बीते दिनों दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और कई बड़ी पार्टी के नेता जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों के समर्थन में पहुंचे थे। मामले को राजनीतिक मोड़ देने वाले सवाल पर बजरंग पुनिया ने कहा- इस आंदोलन को जानबूझकर राजनीति से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। हमारा आंदोलन न्याय के लिए हैं और इसमें सभी का समर्थन मिल रहा है। बजरंग पुनिया ने आगे कहा- जब से बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई हैं, तब से ही हम लोगों को गाली दी जा रही है। इसे राजनीतिक और जाति से जोड़कर हमें कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
अगर हमें न्याय नहीं मिल सकता है तो ऐसे में उनके मेडल और पुरस्कार सरकार वापस ले ले- बजरंग पुनिया
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बजरंग पुनिया ने कहा कि अगर खिलाड़ियों की सुनवाई नहीं हो सकती है और उन्हें न्याय नहीं मिल सकता है तो ऐसे में उनके मेडल और पुरस्कार सरकार वापस ले ले। पुनिया ने कहा कि हम सरकार को अपना मेडल वापस कर देंगे। ऐसे मेडल का हम क्या करेंगे? वहीं विनेश फोगाट ने कहा कि वह अपना मेडल वापस करने को तैयार हैं। विनेश ने यह भी कहा कि वह मेडल के साथ जान भी दे देंगी। बता दें, बजरंग पूनिया ने किसानों और उनके नेताओं को धरना स्थल पर पहुंचने की अपील की है। उन्होंने कहा, दिल्ली पुलिस की गुंडागर्दी अब नहीं चलेगी। हम किसानों को यहां बड़ी संख्या में इकट्ठा होने के लिए बुलाएंगे।
पहलवानों और पुलिसकर्मियों की झड़प पर दिल्ली डिप्टी कमिश्नर प्रणव तयाल ने दी सफाई
वहीं, मामले पर सफाई देते हुए दिल्ली डिप्टी कमिश्नर प्रणव तयाल ने कहा, आप नेता सोमनाथ भारती फोल्डिंग बेड लेकर पहुंचे थे। सोमनाथ भारती ने इसके लिए अनुमति नहीं ली थी। दिल्ली पुलिस ने इस पर उन्हें रोका। पुलिसकर्मियों की ओर से रोके जाने के बाद वहां मौजूद सोमनाथ भारती के समर्थक उत्तेजित हो गए और ट्रक से बेड निकालने की कोशिश करने लगे। उन्होंने बताया कि इसके बाद मामूली कहासुनी हुई। जिसके बाद भारती और दो अन्य को हिरासत में ले लिया गया तो वहीं, बजरंग पूनिया ने दावा किया कि हमने बेड का ऑर्डर दिया था। हम उन्हें अंदर ला रहे थे। जिस समय हाथापाई हुई, आप नेता सोमनाथ भारती वहां नहीं थे।
34 आपराधिक मामले दर्ज थे बृजभूषण शरण सिहं के खिलाफ
गौरतलब है कि पहलवान 12 दिनों से बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं। बता दें कि बृजभूषण शरण सिंह को बीजेपी ने पहली बार 1991 में टिकट दिया था और उस वक्त ही उनके ऊपर करीब 34 आपराधिक मामले दर्ज थे। इसी के साथ बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जो पहलवान प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके नाम है- बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और सुमित मलिक।
बजरंग पूनिया
टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता हैं। उन्होंने कॉमनवेल्थ 2022 में गोल्ड जीता था। बजरंग पूनिया कॉमनवेल्थ गेम्स में 2 गोल्ड समेत 3 मेडल जीत चुके हैं। पूनिया वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप में 4 मेडल जीत चुके हैं। बजरंग ने 2013 और 2019 के चैम्पियनशिप में भी ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था। वहीं, 2018 के वर्ल्ड चैम्पियनशिप में वह सिल्वर मेडल जीतने में सफल रहे थे।
साक्षी मलिक
रियो ओलंपिक पदक विजेता हैं। साल 2014 में हुए ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में 58 किग्रा वर्ग में साक्षी ने रजत पदक जीता था। साक्षी ने इसके साल 2015 में दोहा में हुई सीनियर एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में 60 किग्रा में कांस्य पदक जीता था।
विनेश फोगाट
एशियाड और विश्व कुश्ती चैंपियनशिप विजेता हैं। वे हरियाणा के भिवानी जिले से आती हैं। एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली विनेश फोगाट पहली महिला भारतीय पहलवान हैं। वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत कर इतिहास रचा था।
सुमित मलिक
राष्ट्रमंडल खेलों में पदक विजेता है।
जब तक बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी नहीं होगी, धरने से नहीं उठेंगे – रेसलर्स
बता दें, इससे पहले 18 जनवरी को पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया था। तब पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह और कोच पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न, अभद्रता, क्षेत्रवाद जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। हालांकि, खेल मंत्रालय के दखल के बाद पहलवानों ने अपना खत्म कर दिया था। तब खेल मंत्रालय ने पहलवानों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों की जांच के लिए कमेटी का गठन किया था। अब तीन महीने बाद पहलवान फिर धरना दे रहे है पहलवानों ने अब कमेटी पर ही सवाल खड़े किए हैं। पहलवान बृजभूषण सिंह के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। इतना ही नहीं पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया है। पहलवान उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। रेसलर्स का कहना है कि जब तक गिरफ्तारी नहीं होगी, धरने से नहीं उठेंगे। पुलिस ने 7 पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर दो मामले दर्ज किए हैं। जिसमें एक मामला पोक्सो एक्ट का है।