हिंसा की आग में फिर सुलगा मणिपुर,भीड़ ने विदेश राज्य मंत्री का घर जलाया !

17 Jun, 2023
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मणिपुर पिछले 45 दिन से सुलग रहा है. भीड़ दिन-ब-दिन हिंसक होती जा रही है. अब भीड़ ने टारगेट किया है केंद्रीय मंत्री का घर. बताया जा रहा है कि करीब 1000 लोगों की भीड़ आई और जो दिखा उसे आग के हवाले कर दिया. इससे पहले भीड़ ने मणिपुर सरकार में मंत्री नेमचा किपगेन के घर को भी जला दिया था.

नई दिल्ली : मणिपुर में फिर हिंसा की घटना सामने आई है। भीड़ ने इंफाल पैलेस मैदान के पास एक गोदाम को आग के हवाले कर दिया और फिर भाजपा नेताओं के घरों को जलाने की भी कोशिश की। हिंसक लोग इसके बाद वहां तैनात सुरक्षा कर्मियों से भी भिड़ गए। मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के क्वाकटा और चुराचंदपुर जिले के कंगवई से पूरी रात गोलीबारी की सूचना मिली है. इंफाल वेस्ट के इरिंगबाम थाने से भी हथियार लूटने की कोशिश की गई. हालांकि, कोई हथियार चोरी नहीं हो सका.

 दंगाइयों को एकत्र होने से रोकने के लिए सेना, असम राइफल्स और मणिपुर रैपिड एक्शन फोर्स ने राज्य की राजधानी में आधी रात तक संयुक्त मार्च किया. अधिकारियों ने बताया कि ‘लगभग 1,000 लोगों की भीड़ महल परिसर के पास की इमारतों को जलाने की कोशिश करने के लिए एक साथ आई थी. RAF ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और रबड़ की गोलियां चलाईं. भीड़ ने विधायक बिस्वजीत के घर में आग लगाने की कोशिश की. हालांकि, RAF भीड़ को तितर-बितर करने में कामयाब रही.

अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले दिन में भीड़ ने शुक्रवार को इंफाल शहर के बीचो-बीच सड़कों को जाम कर दिया था और संपत्तियों को आग के हवाले किया था. बीते 15 जून की रात केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन का घर जला दिया गया. वो राजधानी इंफाल के कोंगबा बाजार इलाके में रहते हैं. राज्य सरकार ने 16 जून की सुबह ये जानकारी दी. बताया गया कि घटना के समय केंद्रीय मंत्री अपने घर पर नहीं थे.

हालांकि इस घटना के बाद आरके रंजन सिंह ने कहा कि मैं स्तब्ध हूं. मणिपुर में लॉ एंड ऑर्डर पूरी तरह फेल हो गया है. उन्होंने कहा कि मैं 3 मई (जब राज्य में. जब राज्य में जातीय संघर्ष शुरू हुआ) से शांति लाने और हिंसा रोकने की कोशिश कर रहा हूं. यह सब दो समुदायों के बीच गलतफहमी है. उन्होंने कहा कि अगर इसे धार्मिक एंगल से जोड़ा जाए तो  मैं एक हिंदू हूं. हमलावर हिंदू थे. इसलिए, यह धार्मिक नहीं है. बल्कि भीड़ ने हिंसा की है.  उन्होंने कहा कि सरकार सभी समुदायों से बात करेगी और कोई रास्ता निकालेगी.

क्यों हो रही है मणिपुर में हिंसा

बता दें कि मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी. एक महीने पहले जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक लगभग 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं. आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने पर तनाव से पहले झड़पें हुईं, जिसके कारण कई छोटे- छोटे आंदोलन हुए.

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