Women Reservation Bill: महिला आरक्षण विधेयक में क्या हैं वो शर्तें जो विपक्ष को खटक रही हैं

19 Sep, 2023
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नई दिल्ली: नए भारत की नई संसद की शानदार शुरुआत हुई है. नई संसद की पहली ही बैठक में महिला आरक्षण बिल पास कर दिया गया. बिल पर बॉलीवुड एक्ट्रेसेज कंगना रनौत (Kangana Ranaut) और ईशा गुप्ता (Esha Gupta) ने भी खुशी जताई. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में नई संसद में यह बिल पास किया. विधेयक के मसौदे में एक प्रस्ताव पर विपक्ष सवाल उठा रहा है। उस प्रस्ताव में ऐसा क्या है कि विपक्ष मोदी सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़ा कर रहा है, जानिए।

दिल्ली के सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी (AAP) ने तो सीधा-सीधा आरोप ही मढ़ दिया कि मोदी सरकार दरअसल महिलाओं को आरक्षण नहीं उन्हें धोखा देने के लिए यह बिल लाई है। वहीं, कांग्रेस पार्टी ने भी एक एक्स पोस्ट में बताया है कि किस तरह विधेयक की शर्तों के मुताबिक 2024 के लोकसभा चुनावों में महिला आरक्षण की प्रावधान लागू नहीं हो पाएगा। 

सपा सांसद ड‍िंपल यादव ने कहा क‍ि समाजवादी पार्टी ने हमेशा इसका समर्थन किया है और हम सभी चाहते हैं कि ओबीसी महिलाओं का भी इसमें आरक्षण निर्धारित हो क्योंकि जो आखिरी पंक्ति में खड़ी महिलाएं हैं उन्हें उनका हक मिलना चाहिए। कहा क‍ि सरकार को नौ साल पूरे हो गए हैं। अगर इन्हें महिला आरक्षण बिल लाना था तो ये पहले ला सकते थे।

बसपा प्रमुख मायावाती ने कहा, “पुराने संसद भवन की विदाई हो चुकी है, जिसे आसानी से भुलाया नहीं जा सकता है. मुझे संसद के दोनों सदनों में जाने का मौका मिला जो मेरे लिए सौभाग्य की बात है. नए संसद की शुरुआत आज से की जा रही है, जिसका BSP दिल से स्वागत करती है और आज इस नए संसद भवन में महिला आरक्षण बिल पेश किया जाएगा जिसके पक्ष में BSP सहित कई पार्टियां अपना मत देंगी. BSP ने महिला आरक्षण बिल को हमेशा समर्थन दिया है इसके साथ-साथ यह भी कहा है कि महिलाओं को जो भी आरक्षण दिया जाता है उनमें से SC/ST/OBC वर्गों की महिलाओं का कोटा अलग से सुरक्षित करना चाहिए… अगर ऐसा नहीं हुआ तो इन वर्गों के साथ नाइंसाफी होगी… अगर ऐसा नहीं भी हुआ तब भी BSP पार्टी आज पेश होने वाले महिला आरक्षण बिल का समर्थन करेगी.”

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, “NDA की सरकार को 10 साल होने वाले हैं. अगर उन्होंने यह पहले ही किया होता तो 2024 के चुनाव में महिलाओं को बड़ी तादात में भाग लेने का मौका मिलता. लेकिन देर आए, दुरुस्त आए, अच्छी बात है… देश की तरक्की में यह एक अहम कदम होगा”

ओवैसी ने कहा ओबीसी और मुस्लिमों को मिले कोटा

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “इससे पहले भी जब ऐसा बिल पेश हुआ था तब हमारी पार्टी ने इसका विरोध किया था… इस बिल में सबसे बड़ी कमी ये है कि इसमें OBC और मुसलमान महिलाओं के लिए कोटा नहीं रखा गया इसलिए हम इसके खिलाफ हैं.”

सत्तापक्ष के नेताओं ने मोदी सरकार की जमकर तारीफ की

भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, “यह बहुत ऐतिहासिक क्षण है. नई संसद में आज हमारा पहला दिन था… हम बहुत खुश हैं. नारी शक्ति का अभिनंदन…इस बिल पर सर्वसम्मति होती तो अच्छा होता.”

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, “वर्षों से महिलाओं के इस राजनीतिक संघर्ष को अपना संकल्प बनाकर वो (पीएम मोदी) सिद्धि तक ले जाने वाले हैं. आज ‘नारी शक्ति वंदन’ बिल जो लोकसभा में पेश हुआ वो हमारी महिला शक्ति हमारे राष्ट्र की नेतृत्व शक्ति बने उसको परिभाषित करेगा.”

भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा, “यह ऐतिहासिक दिन है और इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है…नई संसद में महिलाओं को 33% आरक्षण देने वाला बिल पेश किया गया…इसका इंतजार इस देश की महिलाएं काफी समय से कर रही थीं.”

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा, “हमारी सरकार महिला नेतृत्व विकास की बात करती है. सिर्फ महिलाओं का सशक्तrकरण हो यह हमारी सोच नहीं होनी चाहिए लेकिन महिलाएं आगे बढ़कर कैसे नेतृत्व कर देश के विकास में भागीदार बनें यह भी जरूरी है… महिलाएं निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में पहुंचें और देश हित में जो फैसले होते हैं, कानून बनते हैं, उन चर्चाओं में योगदान दें और अपना अनुभव साझा करें.”

लोक जनशक्ति पार्टी(राम विलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा, “सबसे पहले मैं देश की सभी महिलाओं को बधाई देता हूं. हम लंबे समय से इसकी उम्मीद लगाकर रखे हुए थे कि महिलाओं का अधिकार कब इस संसद में पारित होगा. इसमें लंबा समय लगा लेकिन हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास था. मुझे खुशी है कि आज सशक्त रूप में ‘नारी शक्ति वंदना’ के रूप में इस बिल को प्रस्तुत किया गया है.”

अभिनेत्री कंगना रनौत ने कहा, “नए संसद भवन का पहला सत्र जो हुआ है वह महिला सशक्तीकरण एवं महिला उत्थान को समर्पित किया गया… प्रधानमंत्री आज किसी भी मुद्दे पर चर्चा कर सकते थे, लेकिन उन्होंने महिला को प्राथमिकता देते हुए महिला सशक्तीकरण का मुद्दा उठाया…”

128वां संविधान संशोधन का प्रस्ताव

दरअसल, विधेयक का पांचवां प्रावधान कहता है, ‘संविधान के अनुच्छेद 334 के बाद यह अनुच्छेद जोड़ा जाएगा- 334ए(1)। इस भाग या भाग VIII के पूर्ववर्ती प्रावधानों में किसी बात के होते हुए भी, लोकसभा में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने से संबंधित संविधान के प्रावधान, किसी राज्य की विधानसभा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा, इस प्रयोजन के लिए परिसीमन का प्रयोग किए जाने के बाद लागू होंगे। संविधान (128वां संशोधन) अधिनियम, 2023 के प्रारंभ होने के बाद होने वाली पहली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित होने के बाद महिला आरक्षण लागू होगा और पंद्रह वर्ष की अवधि की समाप्ति पर बंद हो जाएगा।’

नारी शक्ति वंदन विधेयक की शर्तें डिकोड

➤ इस प्रावधान के मुताबिक, महिलाओं के लिए आरक्षण नई जनगणना के बाद परिसीमन होगा, उसके बाद महिला आरक्षण लागू किया जा सकेगा। मतलब महिला आरक्षण के लागू होने की राह में अब भी दो रोड़े हैं- पहला जनगणना और दूसरा परिसीमन।
➤ इससे संकेत मिलता है कि महिला आरक्षण का प्रावधान 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद ही लागू हो पाएगा।
➤ इसमें कहा गया है कि आरक्षण शुरू होने के 15 साल बाद प्रावधान प्रभावी होना बंद हो जाएंगे। विपक्ष को इस बात पर भी ऐतराज है कि आखिर महिला आरक्षण के लिए 15 वर्ष की अवधि ही क्यों सीमित रखी गई है।
➤ नारी शक्ति वंदन विधेयक में यह भी कहा गया है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति/जनजाति आरक्षित सीटों में से एक-तिहाई सीटें भी महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
➤ विधेयक के अनुसार, प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की अदला-बदली होगी।

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