विश्व जल दिवस मनाए जाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने साल 1992 में ब्राजील के “रियो द जेनेरियो” में आयोजित “पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन” में की थी.
नई दिल्ली: विश्व जल दिवस का उद्देश्य विश्व के सभी देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है साथ ही जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करना है. विश्व जल दिवस मनाए जाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने साल 1992 में ब्राजील के “रियो द जेनेरियो” में आयोजित “पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन” में की थी. और सबसे पहला विश्व जल दिवस 22 मार्च 1993 को मनाया गया था. तभी से आज तक जल दिवस 22 मार्च को ही मनाया जाता है. इस सम्मेलन में जल दिवस कार्यक्रम का उद्देश्य ये था कि लोगों के बीच में जल संरक्षण का महत्व साफ पीने योग्य जल का महत्व बताना था.
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सभी जीवित प्राणियों की उत्पत्ति जल में हुई है. पानी के बिना जीवित रहना असम्भव. इसीलिए अधिकांश संस्कृतियाँ नदी के किनारे विकसित हुई हैं. इस प्रकार ‘जल ही जीवन है’ का अर्थ सार्थक है. दुनिया में 97 प्रतिशत जल महासागरों, नदियों, झीलों, झरनों के अनुरूप है. केवल 3 प्रतिशत जल या इससे भी कम पानी पीने के लिए उपयुक्त है. हालाँकि, पानी की बचत आज की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है. केवल पानी की कमी पानी के अनावश्यक उपयोग के कारण है. बढ़ती आबादी और इसके परिणामस्वरूप बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण, शहरी माँग में वृद्धि हुई है और पानी की खपत बढ़ रही है. आप सोच सकते हैं कि एक मनुष्य अपने जीवन काल में कितने पानी का उपयोग करता है, किंतु क्या वह इतने पानी को बचाने का प्रयास करता है? असाधारण आवश्यकता को पूरा करने के लिए, जलाशय गहरा गया है. इसके परिणामस्वरूप, पानी में लवण की मात्रा में वृद्धि हुई है.
वैश्विक जल संरक्षण के वास्तविक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिये विश्व जल दिवस को संयुक्त राष्ट्र सदस्यों के द्वारा मनाया जाता हैं. इस अभियान को प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की एक इकाई के द्वारा विशेष तौर से बढ़ावा दिया जाता है. जिसमें लोगों को जल से संबंधित मुद्दों के बारे में सुनने व समझाने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही विश्व जल दिवस के लिए अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का समायोजन भी शामिल है. इस कार्यक्रम की शुरूआत से ही विश्व जल दिवस पर वैश्विक संदेश फैलाने के लिये थीम का चुनाव करने के साथ ही विश्व जल दिवस को मनाने की सारी जिम्मेवारी संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण तथा विकास एजेंसी की रही है.
जल दिवस क्यों मनाया जाता है और इसकी इसबार थीम क्या है?
जल संरक्षण और रखरखाव को लेकर दुनियाभर के लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए हर 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है. सही मायने में यह दिन जल के महत्व को जानने, समय रहते जल संरक्षण को लेकर सचेत होने और पानी बचाने का संकल्प लेने का दिन है. विश्व जल दिवस हर साल एक थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है और इस साल की थीम है – ‘भूजल: अदृश्य को दृश्यमान बनाना (Groundwater: Making The Invisible Visible)’ जिसे IGRAC यानी इंटरनेशनल ग्राउंडवाटर रिसोर्स अस्सेमेंट सेंटर द्वारा प्रस्तावित किया गया है.
विश्व जल दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी का सन्देश
विश्व जल दिवस पर प्रधानमंत्री ने देशवासियों से ट्विट के माध्यम से कहा कि आइए हम सब मिलकर जल संरक्षण को आगे बढ़ाएं और एक स्थायी ग्रह में योगदान दें. बचाई गई हर बूंद हमारे लोगों की मदद करती है और हमारी प्रगति को बढ़ाती है. और उन्होंने आगे कहा कि “देश भर में हो रहे अभिनव प्रयासों के साथ, हाल के वर्षों में जल संरक्षण को एक जन आंदोलन के रूप में देखना उत्साहजनक रहा है. मैं उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं जो पानी बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, दोनों व्यक्तियों और संगठनों को. जल दिवस स्वच्छ, सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता से संबंधित विश्वव्यापी चुनौतियों पर केंद्रित है. हमने देश में पानी के मुद्दों को सुलजाने के लिए जल शक्ति का गठन किया, वर्ष 2019 से पहले देश में ऐसा कोई संगठन नहीं था.
जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने विश्व जल दिवस पर कहा
दिन है जल से जुड़ी समस्याओं पर विमर्श कर समाधान की ओर बढ़ने का. जल संसाधनों की कीमत पहचान कर ही उनके संरक्षण के सामूहिक प्रयासों से साल 2030 तक विश्व में सभी के लिए शुद्धजल की उपलब्धता के सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है.
जलदाय मंत्री महेश जोशी ने दिया संदेश
महेश जोशीट्विट करके कहा कि जल की बचत ही जल की उत्पत्ति है. और आगे कहा लिखा कि पानी बचाना ही पानी की उत्पति है. इसलिए पानी को बचाना बहुत जरूरी हो गया है. इस दौरान महेश जोशी ने पोस्टर विमोचन किया. महेश जोशी का कहना है कि केवल सरकार ही नहीं, बल्कि राजस्थान की जनता को भी पानी बचाने में सहयोग करना ही होगा. क्योंकि राजस्थान की मौजूदा हालात चिंताजनक है.