गुजरात : हड़ताल के कारण उचित मूल्य की 17,000 दुकानें बंद रहीं

01 Nov, 2023
Deepa Rawat
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गांधीनगर, 1 नवंबर (आईएएनएस)। अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण बुधवार को समूचे गुजरात में उचित मूल्य की 17,000 से अधिक राशन दुकानें बंद रहीं।

अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि यह सामूहिक हड़ताल लंबे समय से की जा रही मांग पूरी नहीं किए जाने के बाद की गई। प्रमुख सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में शामिल प्रत्येक दुकान मालिक के लिए 20,000 रुपये के न्यूनतम मासिक कमीशन की गारंटी की मांग है।

दिवाली के त्योहारी सीजन में इस हड़ताल से स्थिति और भी जटिल हो गई है। इन दुकानों के बंद होने से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में काफी बाधा आने की आशंका है, जिससे लगभग 72 लाख कार्डधारक प्रभावित होंगे जो दिवाली उत्सव के दौरान चीनी, तेल और अनाज के लिए इन पर निर्भर हैं। इस हड़ताल पर सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार है।

राशन कार्डधारकों को आवश्यक वस्तुओं के वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इन दुकान मालिकों ने राज्य सरकार को मांगों की एक सूची सौंपी है। उनकी मुख्‍य मांग 20,000 रुपये कमीशन तय करना है। इस समय गुजरात में केवल 5,000 राशन प्रबंधकों को इस राशि से अधिक कमीशन मिलता है, जबकि लगभग 12,000 प्रबंधक इस सीमा से नीचे कमाते हैं। यह हड़ताल 300 से कम राशन कार्ड वाले दुकान मालिकों को 20,000 रुपये कमीशन देने की पिछली सरकार की प्रतिबद्धता के बावजूद हुई है।

गुजरात फेयर प्राइस शॉप ओनर्स एंड केरोसिन लाइसेंस होल्डर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रह्लाद मोदी इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि पूर्व मंत्री नरेश पटेल ने कमीशन को 13 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपये करने की मंजूरी दी थी।. 14 अक्टूबर, 2022 को लिया गया यह निर्णय 15 महीने बाद भी लागू नहीं किया गया है, जिससे दुकान मालिकों में निराशा है और उन्होंने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया।

दुकान मालिकों की शिकायतें कमीशन के मुद्दे पर खत्म नहीं होतीं। उन्होंने सामान के वजन में विसंगतियों पर भी चिंता जताई है, प्रत्येक बैग में लगभग 1-2 किलोग्राम की कमी बताई है। इसके अलावा, वे बार-बार सर्वर क्रैश होने सहित बारकोड राशन कार्ड प्रणाली को प्रभावित करने वाली विभिन्न समस्याओं के निवारण की मांग कर रहे हैं।

लगभग एक महीना पहले, इसी तरह की हड़ताल की घोषणा की गई थी, लेकिन बाद में उचित मूल्य दुकान लाइसेंस धारकों के लिए कमीशन बढ़ाने के सरकारी आश्‍वासन के बाद इसे वापस ले लिया गया था।

–आईएएनएस

एसजीके

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