बंगाल की मंत्री बोलीं : टाटा को मुआवजे पर ट्रिब्यूनल के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे

31 Oct, 2023
Deepa Rawat
Share on :

कोलकाता, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की वित्त राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चंद्रिमा भट्टाचार्य ने मंगलवार को कहा कि बंगाल सरकार मध्यस्थ न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती देगी, जिसने सरकार को टाटा मोटर्स लिमिटेड (टीएमएल) को हुगली जिले के सिंगूर में नैनो कार परियोजना बंद करने के एवज में 765.78 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है।

ट्रिब्यूनल ने सरकार से टीएमएल को सितंबर 2016 से उस पर अर्जित 11 प्रतिशत की दर से अतिरिक्त ब्याज देने को भी कहा है।

मंत्री ने कहा, “यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी देखा था कि जिस तरह से सिंगूर में परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया था, वह असंवैधानिक था। शीर्ष अदालत के फैसले से यह स्पष्ट था कि भूमि किसानों से जबरदस्ती अधिग्रहित की गई और बाद में टीएम को हस्तांतरित कर दी गई।”

उन्होंने कहा कि पिछले वाम मोर्चा शासन के दौरान राज्य वाणिज्य और उद्योग विभाग के तहत नोडल विंग, पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (डब्ल्यूबीआईडीसी) ने मध्यस्थ न्यायाधिकरण के माध्यम से मुआवजे का खंड डालने के लिए टीएमएल के साथ एक गुप्त समझौता किया था।

मंत्री ने कहा, “कॉर्पोरेट इकाई का कदम सीपीआई (एम) द्वारा तैयार की गई एक बड़ी साजिश का हिस्सा था।”

पता चला है कि शीर्ष नौकरशाहों ने ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती देने के संबंध में कानूनी विशेषज्ञों के साथ बातचीत शुरू कर दी है। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा, “हम दो विकल्पों का अध्ययन कर रहे हैं कि सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए या कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाए।”

2006 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आने के बाद तत्कालीन बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली वाम मोर्चा सरकार ने टीएमएल द्वारा सिंगूर में नैनो परियोजना की घोषणा की थी।

राज्य सरकार द्वारा परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने के बाद वहां कारखाना स्थापित करने का काम शुरू हुआ।

समस्या तब शुरू हुई, जब भू-स्वामियों के एक छोटे वर्ग ने मुआवजे के चेक लेने से इनकार कर दिया और भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया।

उस समय की प्रमुख विपक्षी पार्टी, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ सिंगूर में बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया था।

आंदोलन उग्र होते देखकर टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा अंततः सिंगूर से हट गए और वह नैनो परियोजना गुजरात के साणंद में ले गए।

2011 में सत्ता में आने के बाद ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली कैबिनेट का पहला निर्णय सिंगूर में सभी भूमि मालिकों को भूमि वापस करने के लिए एक नया कानून लागू करना था। उन्‍होंने भूमि मालिकों को भूमि वापस दिलाकर जनप्रियता हासिल की।

–आईएएनएस

एसजीके

News
More stories
पुराने संसद भवन पर लगाया गया 'संविधान सदन' नाम का नया बोर्ड, विशेष सत्र के दौरान बदला था नाम